मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है भजन
मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम भजन
मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम
मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम ।
मेरे नैनों की नगरिया में राम ही राम ॥
मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमैया ।
सांसो के स्वामी मेरी नैया के खिवैया ।
गुन गुन में है राम झुन झुन में है राम ।
मेरे मन की अटरिया में राम ही राम ॥
जनम जनम का जिनसे है नाता
मन जिनके पल छिन गुण गाता ।
सुमिरन में है राम दर्शन में है राम
मेरे मन की मुरलिया में राम ही राम ॥
जहाँ भी देखूँ तहाँ राम जी की माया
सबही के साथ श्री राम जी की छाया ।
त्रिभुवन में हैं राम हर कण में है
राम सारे जग की डगरिया में राम ही राम ॥
मेरे मन में हैं राम मेरे तन में है राम ।
मेरे नैनों की नगरिया में राम ही राम ॥
मेरे रोम रोम के हैं राम ही रमैया ।
सांसो के स्वामी मेरी नैया के खिवैया ।
गुन गुन में है राम झुन झुन में है राम ।
मेरे मन की अटरिया में राम ही राम ॥
जनम जनम का जिनसे है नाता
मन जिनके पल छिन गुण गाता ।
सुमिरन में है राम दर्शन में है राम
मेरे मन की मुरलिया में राम ही राम ॥
जहाँ भी देखूँ तहाँ राम जी की माया
सबही के साथ श्री राम जी की छाया ।
त्रिभुवन में हैं राम हर कण में है
राम सारे जग की डगरिया में राम ही राम ॥
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Author - Saroj Jangir
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