पतंजलि महात्रिफलादी घृत फायदे और उपयोग Patanjali Mahatrifaladi Ghrit Benefits Hindi

पतंजलि महात्रिफलादी घृत फायदे और उपयोग Patanjali Mahatrifaladi Ghrit Benefits Hindi

पतंजलि महात्रिफलादी घृत क्या होता है: Mahatrifaladi Ghrit Kya Hota Hai

महा त्रिफलादी घृत से सबंधित सम्पूर्ण विस्तृत जानकारी हमें ' भैषज्य रत्नावली Bhaishajyaratnavali Kushta Adhikara 173–80, से प्राप्त होती है। यह एक आयुर्वेद ओषधि है जिसका शाब्दिक अर्थ है ऐसा घी जिसे विभिन्न हर्ब के द्वारा परिष्कृत कर लिया जाय।

पतंजलि महात्रिफलादी घृत फायदे और उपयोग Patanjali Mahatrifaladi Ghrit Benefits Hindi

निर्माण कई निर्माताओं के द्वारा किया जाता है। यह ओषधि मूल रूप से नेत्र विकारों के लिए उपयोग में लायी जाती है और साथ ही हीलिंग मेडिसिन भी होती है। यह ओषधि देसी गाय के घी (Cow’s ghee) (इस दवा में घी एक अंश के रूप उपयोग में लाया जाता है) त्रिफला क्वाथ (हरड़, बहेड़ा और आंवला) भाँगरा, बाँसे, शतावरी, गिलोय, घी, पित्त्पल, द्राक्षा पीपर (Piper longum Linn.)(Vitis vinifera Linn.) बकरी दूध (Goat’s milk) भृंगराज स्वरस (Eclipta prostrata) वासा स्वरस (Justica adhatoda) क्षीरकाकोली, (Nelumbo nucifera) शतावरी क्वाथ (Asparagus racemosus) आदि हर्ब से तैयार की जाती है। 
 
नेत्र विकारों अतिरिक्त यह रक्तदुष्टि, रक्तस्त्राव, रतौंधी, तिमिर आदि विकारों में भी उपयोगी होता है। त्रिफला चूर्ण की भांति ही यह आखों के लिए बहुत ही उपयोग होती है। सामन्य नेत्र विकारों के लिए रात को त्रिफला चूर्ण को भिगोये पानी से सुबह आँखें धोना भी लाभकारी होता है।

महात्रिफलादी घृत के घटक: Composition of Mahatrifaladi Ghrit Hindi : Mahatrifaladi Ghrit Ke Ghatak Avayav

महात्रिफलादी घृत मिश्री, अडूसा, नीलोफर, (नील कमल ) मुलेठी, शतावरी रस, क्षीरकाकोली, गुडूची, कटेरी, त्रिफला क्वाथ (हरड़, बहेड़ा और आंवला) भाँगरा, बाँसे, शतावरी, गिलोय, घी, पित्त्पल, मुनक्का, कटेली छोटी, बकरी का दूध, आदि से तैयार किया जाता है।

महात्रिफलादी घृत के लाभ : Mahatrifaladi Ghrit Ke Fayade Hinde Me : Benefits of Mahatrifaladi Ghrit (Mahatrifaladi Ghrit Ke Laabh)

महात्रिफलादी घृत आखों के विकारों के लिए बहुत ही उपयोगी आयुर्वेदिक ओषधि होती है। आधुनिक दिनचर्या यथा घंटों कंप्यूटर पर कार्य करना, (computer vision syndrome) टीवी देखना आदि से आखों के विकार उत्पन्न हो जाते हैं जिनके उपचार के लिए यह एक श्रेष्ठ दवा है ।

पलकों के रोग, ग्लूकोमा, आखों में दर्द, रात में दिखाइ ना देना, नेत्शेश्मशोथ, तिमिर रोगों में यह श्रेष्ठ ओषधि है। कई परिस्थितियों में जब पित्त की अधिक वृद्धि हो जाती है तो आखों का सूजना, आखों से पानी आना आदि विकार उत्पन्न हो जाते हैं जिनके लिए भी महात्रिफलादी घृत बहुत उपयोगी होता है। त्रिफला को नेत्रों के लिए सर्वोत्तम होता है और यह ओषधि नेत्रों के लिए बहुत लाभदायक मानी जाती है।

आखों से सबंधित विकार रतौंधी, तिमिर, आँखों में दर्द होना, आँखों से कम दिखाई पड़ना, रक्तदुष्टि, रक्तस्राव इन सब में इस घृत का सेवन उत्तम होता है। जिन्हें नेत्र रोग की समस्या रहती है उन्हें इस घृत का सेवन प्रतिदिन करना चाहिए। इससे रोग दूर होकर आँखे स्वस्थ बनी रहती है तथा शरीर की भी पुष्टि होती है। यह बुद्धि को बल प्रदान करता है और बुढापे के कारण उत्पन्न कमजोरी को भी दूर करता है। मस्तिस्क को बल देने, स्मरण शक्ति वर्धक और नक्काशी, तिमिरा, काका, निल्का, पाटला, अर्बुडा,नेटराभ्येंदा, अदिमांठा, पक्समोपा, नेट्रारोगा, अद्रीस्ती, मंडाद्रीस्ती, नेत्र्रांडु, दुराद्री, सैमिपट्टी/ आदि में उपयोगी होता है।

इसमें घी होने से आंतरिक रूक्षता दूर होती है और स्निग्धता आती है। त्रिफला और घी दोनों के ही प्रभाव से पेट साफ रहता है। त्रिफला घृत का सेवन बालों को भी मजबूती देता है जिससे बालों के गिरने और खालित्य में लाभ होता है।

महात्रिफलादी घृत का सेवन कैसे करें : यद्यपि यह एक आयुर्वेदिक दवा है फिर भी आप अपनी मर्जी से इसका सेवन ना करें और अपने विकार/रोग के विषय में वैद्य से सलाह लेवें और यदि वैद्य आपको महात्रिफलादी घृत लेने की सलाह देता है तो ही आप इस दवा का सेवन करें क्योंकि आपकी आयु, शरीर की तासीर और रोग के प्रकार के मुताबिक इसकी मात्रा और सेवन विधि में परिवर्तन संभव है। सामन्य परिस्थितियों में इसे गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लिया जाता है।

महात्रिफलादि घृत के सेवन में सावधानियां : महात्रिफलादि घृत के सेवन से यद्यपि कोई ज्ञात दुष्परिणाम नहीं होता है फिर भी आप यदि मधुमेह, रक्तचाप या किसी अन्य गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं और उनकी भी दवा ले रहे हैं तो वैद्य की सलाह लें। भैष्यज्यरत्नावली के मतानुसार इस दवा के साथ में घी शहद, तिल्कल्क तिल का तेल तथा खांड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। वैद्य के द्वारा बताई गयी मात्रा से अधिक सेवन करना हानिकारक हो सकता है।

पतंजलि का महात्रिफलादी घृत के विषय में कथन :

Mahatriphaladi Ghrit protects and nourishes your eyes. Environmental pollution, stress and age leads to gradual weakening of eye muscles, reduced vision and other retinal complications. Mahatriphaladi Ghrit is a combination of ghee and herbal extracts that undo the harmful effects of pollution on your eyes. It soothes eye irritation, strengthens the eye muscles and optic nerve and significantly improves vision. Take Mahatriphaladi Ghrit to refresh your eyes, get relief from headaches and improve your eyesight.

पतंजलि का महात्रिफलादी घृत कहाँ से खरीदें : पतंजलि का महात्रिफलादी घृत आपको पतंजलि स्टोर्स पर उपलब्ध है। इसकी कीमत और इस ओषधि को ऑनलाइन खरीदने के लिए आप पतंजलि आयुर्वेद की अधिकृत वेबसाइट पर विजिट करें जिसका लिंक निचे दिया गया है।
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भैषज्य रत्नावली, आयुर्वेद का एक ग्रन्थ है। इसके रचयिता गोविन्ददास हैं। इसकी रचना कब और कहाँ हुई, यह प्रमाणिक रूप से ज्ञात नहीं है। किन्तु इसका सबसे पहला यान्त्रिक प्रकाशन कोलकाता से १८७७ में हुआ। उनके वंशज विनोद लाल सेन ने इसका प्रकाशन कराया। 
The author of this blog, Saroj Jangir (Admin), is a distinguished expert in the field of Ayurvedic Granths. She has a diploma in Naturopathy and Yogic Sciences. This blog post, penned by me, shares insights based on ancient Ayurvedic texts such as Charak Samhita, Bhav Prakash Nighantu, and Ras Tantra Sar Samhita. Drawing from an in-depth study and knowledge of these scriptures, Saroj Jangir has presented Ayurvedic Knowledge and lifestyle recommendations in a simple and effective manner. Her aim is to guide readers towards a healthy life and to highlight the significance of natural remedies in Ayurveda.

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1 टिप्पणी

  1. त्रिफला घृत की तासीर क्या है क्या इसे गर्मियों के मौसम में भी खा सकते है पथ्य अपथ्य क्या है