वन्दना अभिनन्दना हे देव शत शत वन्दना भजन लिरिक्स Vandana Abhinandana Lyrics

वन्दना अभिनन्दना हे देव शत शत वन्दना भजन लिरिक्स Vandana Abhinandana Lyrics

 
वन्दना अभिनन्दना हे देव शत शत वन्दना भजन लिरिक्स Vandana Abhinandana Lyrics

वन्दना अभिनन्दना हे देव शत शत वन्दना।
कोटि कण्ठो से निनादित श्री एकनाथ की अर्चना॥धृ॥

बालपन का बुध्दिकौशल लक्ष्य के प्रति अडिग मन।
प्रेम से परिपूर्ण अन्तस वज्र सा सुबलिष्ठ तन।
मन्त्र द्रष्टा कर्म प्रेरक कोटिशः आराधना॥१॥

पञ्चनद से ब्रह्मनद तक मानसर से सिन्धु तक।
एक माला में पिरो ए भरत भू के कोटि जन।
स्वप्न को साकार कर परिपूर्ण कर दी कामना॥२॥

माली बनकर बीज बो ए हो गया पुष्पित चमन।
पल्लवित पुष्पित चमन से बह रही सुरभित पवन।
और वह सुरभित पवन है भरती नूतन भावना॥३॥

सिन्धु की वह शिला है पुलकित पुण्य रज स्वामी की पा।
गौरवान्वित भरत जननी आपका श्रम त्याग पा।
दिव्य स्मारक को बनाया सिन्धु करता वन्दना॥४॥

केन्द्र नाम का बीज था जो है खड़ा वटवृक्ष बन।
और विकसित हो रही हैं डालियाँ बन कोटि जन।
पुर्णता को छू रही है आपकी वह साधना॥५॥
 


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