माखन खिलाऊँगी मैं मिश्री खिलाऊँगी मैं

माखन खिलाऊँगी मैं मिश्री खिलाऊँगी मैं भजन

माखन खिलाऊँगी मैं, मिश्री खिलाऊँगी मैं,
मान भी जाओ कान्हा, अब ना सताउंगी मैं,
आ जाओ इक बार कान्हा, बंसी बजाओ इक बार,
रे कान्हा, बंसी बजाओ इक बार,

भर भर मटकी माखन की लाऊंगी,
मोर मुकुट तेरे माथे सजाऊँगी,
रास रचाने को संग कान्हा,
सखियाँ सारी नगरिया की लाऊंगी,
ना रूठो मेरे कान्हा, मान भी जाओ कान्हा,
लगो गले इक बार कान्हा, बंसी बजाओ इक बार,
रे कान्हा, बसी बजाओ इक बार,

राधा से तेरा ब्याह कराउंगी,
मथुरा को दुल्हन सा सजाऊँगी,
सारी नगरिया को भोजन कराउंगी,
ढोल नगाड़े नगर बजवाऊंगी,
अब ना सताओ कान्हा, मान भी जाओ कान्हा,
छोड़ के सब तकरार कान्हा, बंसी बजाओ इक बार,
रे कान्हा, बंसी बजाओ इक बार,
 


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