सांवरियां उमरिया बीत गई तुम आये ना मम प्राण सखे भजन
हे गोविन्द हे गोपाल,
सांवरियां उमरिया बीत गई, सांवरियां उमरिया बीत गई,
तुम आये ना मम प्राण सखे, तुम आये ना मम प्राण सखे,
ये रस की गागर रीत गयी, ये रस की गागर रीत रही,
मेरे जीवन के उपवन में, तू कभी कभी तो आये हो,
मेरे उजड़े चमन के बागवाँ,
मेरे जीवन के उपवन में, तू कभी कभी तो आये हो,
ऊसर बंजर मन में प्यारे, घनश्याम घटा बन छाए हो,
ऊसर बंजर मन में प्यारे, घनश्याम घटा बन छाए हो,
अब सपना सा लगता प्यारे, अब सपना सा लगता प्यारे,
जाने कहाँ वो बात गई, जाने कहाँ वो बात गई,
सांवरियां उमरिया बीत गई, सांवरियां उमरिया बीत गई,
तुम आये ना मम प्राण सखे, तुम आये ना मम प्राण सखे,
ये रस की गागर रीत गयी, ये रस की गागर रीत रही,
अब तो याद तुम्हारी प्यारे, अब तो याद तुम्हारी प्यारे,
चुपके चुपके आ जाती है,
अब तो याद तुम्हारी प्यारे, चुपके चुपके आ जाती है,
तब पूर्ण हृदय अंबर पर, बदली सी बन छा जाती है,
बरस रही है नयन पुतरिया, तरस रही है नयन पुतरिया,
देखो ये बरसात भई, देखो ये बरसात भई,
सांवरियां उमरिया बीत गई, सांवरियां उमरिया बीत गई,
तुम आये ना मम प्राण सखे, तुम आये ना मम प्राण सखे,
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