सूती काई रंग रा महल में
यह राजस्थानी फोक सांग कई वर्जन में यूट्यूब पर है। इस फोक सांग को श्री बबलू अंकिया और आशा प्रजापत जी ने बहुत ही सुन्दर गाया है। आप भी इस राजस्थानी फोक सांग का आनंद लीजिये जिसके बोल निचे दिए गए हैं। आशा है की आपको यह फोक सांग सुन्दर लगेगा।
सूती काई रंग रा महल में,
गौरी फागण (फाल्गुन ) आयो ये.
बारे (बाहर ) आ,
म्हारी गजबण फागण आयो ये,
बारे आ,
नयी म्हारे पिवजी पीळो ल्याया,
ना पिवजी फागणियों ल्याया,
कीकर (कैसे ) फागण खेलु रे,
ना रे नारे,
मैं कीकर फागण खेलु रे,
ना रे नारे, ना रे नारे,
काई म्हारी गौरी दिवलो दुखायो,
काई म्हारी गौरी मुंडो (मुख) सुजायो,
थारा पिवजी हेलो म्हारे रे,
बारे आ,
म्हारी गजबण फागण आयो ये,
बारे आ,
काई म्हारा पीव परदेस सूं आया,
काई म्हारा थे गहणा ल्याया,
बात अब नहीं करणी रे,
ना रे ना,
मन्ने
बात अब नहीं करणी रे,
ना रे ना,
होळी रो त्योंहार आयो,
घणो उडीलो महीनों आयो,
लहरिया फागण खेले ये,
बारे आ,
लहरिया फागण खेले ये,
बारे आ,
म्हारी गजबण फागण आयो ये,
बारे आ,
नहीं थे (आप ) म्हारे चुड़लो ल्याया,
नहीं थे म्हारे मेहंदी ल्याया,
किन विध बारे आवु वो,
ना रे ना,
मैं
किन विध बारे आवु वो,
ना रे ना,
सोने रो तिमणियों ल्यायो,
माथे वाली रखड़ी ल्यायो,
अब तो आडो खोलो नी,
बारे आ,
म्हारी गजबण फागण आयो ये,
बारे आ,
कोणी मैं रखड़ी री भूखी,
कोणी मैं तिममन्या री भूखी,
मन म्हारो नहीं राख्यो जी,
वा रे वा,
मन म्हारो नहीं राख्यो जी,
वा रे वा,
मैं कोणी फागण खेलु रे,
ना रे ना,
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Author - Saroj Jangir
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