त्रिगुण असार निर्गुण हें सार भजन
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार भजन
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार । सारासार विचार हरिपाठ,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार । सारासार विचार हरिपाठ,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार । सारासार विचार हरिपाठ,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार । सारासार विचार हरिपाठ,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
त्रिगुण असार निर्गुण हें सार । सारासार विचार हरिपाठ,
सगुण निर्गुण गुणांचें अगुण । हरिविणें मत व्यर्थ जाय,
अव्यक्त निराकार राहीं ज्या आकार । जेथुनी चराचर त्यासी भजें,
ज्ञानदेवा ध्यानीं रामक्इश्ह्ण मनीं । अनंत जन्मांनीं पुण्य होय,
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Trigun Asar Nirgun Ye Sar · Digambarbua Kute
Hari Paath Shri Sant Gyaneshwar Maharaj Krut
℗ 1994 Tips Music
Released on: 1994-01-01
Trigun Asar Nirgun Ye Sar · Digambarbua Kute
Hari Paath Shri Sant Gyaneshwar Maharaj Krut
℗ 1994 Tips Music
Released on: 1994-01-01
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