रामायण भजन नारायण के दर्शन होंगे लिरिक्स Ramayan Bhajan Narayan Ke Darshn Honge Lyrics
पवन पुत्र के संग में,
उड़ चलो पंख पसार,
गरुण राज पुलकित हृदय,
मन में करत विचार,
नारायण के दर्शन होंगे,
धन धन भाग्य हमारे,
धन धन भाग्य हमारे,
बस एक झलक की ललक,
से झिलमिल,
नैनो के दो तारे,
धन धन भाग्य हमारे,
श्रीमन नारायण गरिमा का,
हम निस दिन तीनो भुवन करे,
भव भव भय भंजन,
नित्य निरंजन अंजन,
करिजन नयन भरे,
प्रभु परम प्रतापी,
प्रबल प्रभावी,
आप ताप संताप हरे,
नित नारद शारद शेष महेश्वर,
पार न पावे ध्यान धरे,
मोहे दूजी चाहन,
करि के वाहन,
राखो संग तिहारे,
धन धन भाग्य हमारे,
पंखो से ध्वनि
अधरों पर हरी नाम
सम्मुख पाकर नाथ को
सेवक कियो प्रणाम
विषमित होकर गरुण
प्रभु के मुख की
और निहारे
ये कैसे बंधन
ये कैसे बंधन
बीच बंधे हो
बंधन काटन हारे
बंधन काटन हारे
ब्रम्हास्त्र का मान न जाये
बंधन में स्वयं बधाये
तुम्हरी लीला
ओ तुम्हरी लीला
तुम्ही जानो
राम रमापति प्यारे
राम रमापति प्यारे
मुख देखत मन न थावे
पुनि पुनि चरनन सिर नावे
भूल गया ओ भूल गया
यही कारण आया
भक्ति विभोर भया रे
मुख की और निहारे
गरुण राज रेज रखवो
नाग पाश दियो तोड़
राम लखन दोउ उठे
जो निद्रा कर छोड़
उड़ चलो पंख पसार,
गरुण राज पुलकित हृदय,
मन में करत विचार,
नारायण के दर्शन होंगे,
धन धन भाग्य हमारे,
धन धन भाग्य हमारे,
बस एक झलक की ललक,
से झिलमिल,
नैनो के दो तारे,
धन धन भाग्य हमारे,
श्रीमन नारायण गरिमा का,
हम निस दिन तीनो भुवन करे,
भव भव भय भंजन,
नित्य निरंजन अंजन,
करिजन नयन भरे,
प्रभु परम प्रतापी,
प्रबल प्रभावी,
आप ताप संताप हरे,
नित नारद शारद शेष महेश्वर,
पार न पावे ध्यान धरे,
मोहे दूजी चाहन,
करि के वाहन,
राखो संग तिहारे,
धन धन भाग्य हमारे,
पंखो से ध्वनि
अधरों पर हरी नाम
सम्मुख पाकर नाथ को
सेवक कियो प्रणाम
विषमित होकर गरुण
प्रभु के मुख की
और निहारे
ये कैसे बंधन
ये कैसे बंधन
बीच बंधे हो
बंधन काटन हारे
बंधन काटन हारे
ब्रम्हास्त्र का मान न जाये
बंधन में स्वयं बधाये
तुम्हरी लीला
ओ तुम्हरी लीला
तुम्ही जानो
राम रमापति प्यारे
राम रमापति प्यारे
मुख देखत मन न थावे
पुनि पुनि चरनन सिर नावे
भूल गया ओ भूल गया
यही कारण आया
भक्ति विभोर भया रे
मुख की और निहारे
गरुण राज रेज रखवो
नाग पाश दियो तोड़
राम लखन दोउ उठे
जो निद्रा कर छोड़
श्री राम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं। वे भारतीय संस्कृति और धर्म के सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं। उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, जिसका अर्थ है "मर्यादाओं के सर्वश्रेष्ठ पुरुष"। श्री राम के जीवन में कई ऐसे प्रसंग हैं, जिनसे उनकी मर्यादा और आदर्शवाद का पता चलता है। वे हमेशा अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि मानते थे। उन्होंने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष का वनवास भोगा। जब उनकी पत्नी सीता का हरण हुआ, तो उन्होंने उसे खोजने के लिए लंका की यात्रा की और राक्षसराज रावण को पराजित किया।श्री राम का जीवन हमें एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रेरित करता है। उनके जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण शिक्षाएं मिलती हैं, जो हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं।
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