संसार मुसाफिर खाना है भजन लिरिक्स देवेन्द्र पाठक

संसार मुसाफिर खाना है लिरिक्स Sansar Musafir Khana Hai

 
संसार मुसाफिर खाना है लिरिक्स Sansar Musafir Khana Hai Lyrics

किस धुन में बैठा बावरे तू किस मद में मस्ताना है,
सोने वाले जाग जा सँसार मुसाफिर खाना है,

क्या लेकर के आया था जग में फिर क्या लेकर जाएगा,
मुट्ठी बांधे आया जग में हाथ पसारे जाना है,
सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,

कोई आज गया कोई कल गया कोई चंद रोज में जायेगा
जिस घर से निकल गया पंछी उस घर में फिर नही आना है,
सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,
सुत मात पिता बांदव नारी धन धान यही रह जाएगा,
यह चंद रोज की यारी है फिर अपना कौन बेगाना है,
सोने वाले जाग जा संसार मुसाफ़िर खाना है,


ऐसे ही अन्य भजनों के लिए आप होम पेज / गायक कलाकार के अनुसार भजनों को ढूंढें.

ऐसे ही अन्य मधुर भजन देखें 

पसंदीदा गायकों के भजन खोजने के लिए यहाँ क्लिक करें।  
 

आपको ये पोस्ट पसंद आ सकती हैं
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

इस ब्लॉग पर आप पायेंगे मधुर और सुन्दर भजनों का संग्रह । इस ब्लॉग का उद्देश्य आपको सुन्दर भजनों के बोल उपलब्ध करवाना है। आप इस ब्लॉग पर अपने पसंद के गायक और भजन केटेगरी के भजन खोज सकते हैं....अधिक पढ़ें

+

एक टिप्पणी भेजें