वृथा क्यों भटक रहा है श्री राम भजन
वृथा क्यों भटक रहा है श्री राम भजन
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
झूठी काया, झूठी माया,
चक्कर में क्यों आया
इसी से अटक रहा है,
इसी से अटक रहा हैं,
नर तन मिला है तुझे, खो क्यों रहा है प्यारे खेल में,
सोने की काया तेरी उलझी है, विषयों के मेल में,
सुत और दारा, वैभव सारा, कुछ भी नहीं तुम्हारा,
कहाँ से अटक रहा है,
भज ले प्राणी, अरे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
भोला फेरे क्यों बन्दे, तूं धन यौवन के उमंग में,
माता पिता और बंधू, कोई चले ना तेरे संग में,
मैं और मेरा, तू और तेरा, है माया का फेरा,
इसी में भटक रहा है,
भज ले प्राणी, अरे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
योनियाँ अनेक भ्रमी, प्रभु की कृपा से,नर तन पाया है,
झूठे जगत में फंस कर, इनसे ना प्रेम बढ़ाया है,
गीता गाए, वेद बताए, गुरु बिन ज्ञान ना आए,
भज ले प्राणी, अरे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
चंचल गुमानी मन, अब तो जनम को सँवार ले,
फिर न मिले तुझे अवसर ऐसा बारम्बार रे,
रे अज्ञानी तज नादानी, भज ले सारंग पाणी,
भज ले प्राणी, अरे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
भज ले प्राणी, अरे अज्ञानी,
दो दिन की जिंदगानी,
वृथा क्यों भटक रहा है,
वृथा क्यों भटक रहा है,
झूठी काया, झूठी माया,
चक्कर में क्यों आया
इसी से अटक रहा है,
इसी से अटक रहा हैं,
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पूज्य राजन जी द्वारा गाया हुवा ये भजन- वृथा क्यों भटक रहा है, एक बहुत ही अद्भुत भजन है। इस भजन को पूज्य राजन जी ने सबसे पहले अपने पूज्य महाराज जी के श्री मुख से सुना था । इस भजन को पूज्य राजन जी ने ग्राम- हीरा गाड़ाडीह, कुरुद, जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़ की श्री रामकथा में गाया है यह भजन जीवन की नश्वरता और असारता पर ध्यान केन्द्रित करता है, जो मनुष्य को उसकी फालतू उलझनों और माया की हवा में भटके रहने का सच बताता है। जीवन केवल दो दिन का है, फिर भी वह मनुष्य माया-मोह की जाल में फंस जाता है, जो कि एक मिथ्या और भ्रम है। झूठे शरीर और माया की छाया में उलझकर वास्तविकता से दूर हो जाना जीवन की सबसे बड़ी विडम्बना है, जिससे मनुष्य को मुक्ति प्राप्त करनी चाहिए।
यह गीत भक्त को जगाता है कि जीवन के असली अर्थ को समझे और उस खेल में फंसने से बचें, जो अंततः शून्य और व्यर्थता को जन्म देता है। परिवार, वैभव, धन-दौलत सब कुछ क्षणभंगुर है और इन मोह-माया के फेर में जो अटका रहता है, वह आत्मिक उन्नति से वंचित रहता है। भजन में गुरु और प्रभु के स्मरण की महत्ता भी है, जो अज्ञानता और भ्रम से बाहर निकल कर सच्चे मार्ग की ओर ले जाता है। यही समझ और ज्ञान प्राप्त कर, जीवन की नैया को सुरक्षित और सुंदर बनाया जा सकता है, जिसमें हमेशा प्रेम, भक्ति और ईश्वर के नाम की प्रकाशमयी छाया बनी रहे।
Song Sung By : Sh. Rajesh Kumar Tiwari alias Pujya Rajan Jee Maharaj
Lyrics By:Chanchal ji
Music Composed By: Sh. Rajesh Kumar Tiwari alias Pujya Rajan Jee Maharaj
Producer and Published By : Sh. Rajesh Kumar Tiwari alias Pujya Rajan Jee Maharaj
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