
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
भगवान शिव को "भोलेनाथ" क्यों कहा जाता है, यह सवाल वास्तव में बहुत गहरा और दिलचस्प है। भगवान शिव का स्वभाव बहुत ही सरल और उदार है। वह किसी भी भक्त से भेदभाव नहीं करते, चाहे वह देवता हो, दैत्य हो, या मनुष्य। उनकी इस विशेषता को ही "भोलेनाथ" कहा जाता है, क्योंकि वह बिना किसी लालच या शर्त के सच्चे मन से पूजा करने वाले भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
भस्मासुर की कथा हमें भगवान शिव के भोलेपन को समझाने में मदद करती है। भस्मासुर ने भगवान शिव से एक बहुत बड़ा वरदान मांगा, जिसमें उसने यह इच्छा जताई कि वह जिस किसी के सिर पर हाथ रखेगा, वह व्यक्ति तुरंत भस्म हो जाएगा। भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया, हालांकि वह जानते थे कि इस वरदान का दुरुपयोग सृष्टि के विनाश के लिए किया जा सकता है। फिर भी भगवान शिव ने बिना किसी शर्त के उसे वरदान दिया, क्योंकि वह अपने भक्त के प्रति अत्यंत उदार थे।
जब भस्मासुर ने भगवान शिव पर ही यह वरदान प्रयोग करने की कोशिश की, तो भगवान शिव ने अपनी जान बचाने के लिए भगवान विष्णु की सहायता ली। भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया और भस्मासुर को अपने आकर्षण में फंसाकर उसे अपने ही हाथों से नष्ट कर दिया। इस पूरी घटना में भगवान शिव का भोलेपन और उनका अपनी सृष्टि से निस्वार्थ प्रेम दिखाई देता है।
इसलिए भगवान शिव को "भोलेनाथ" कहा जाता है, क्योंकि वह बिना किसी मोह के सच्चे दिल से पूजा करने वाले भक्तों की इच्छाओं को पूरा करते हैं, भले ही वह कोई भी हो।
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Author - Saroj Jangir
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