ज़ीवन ख़तम हुआ तो जीने का ढ़ंग भजन
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
जब शम्मां बुझ गई तो, महफ़िल में रंग आया,
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
मन की मशीनरी ने, तब चलना ठीक सीखा,
जब इस बूढ़े तन के, पुरज़े में जंग आया,
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
गाड़ी चली गई तब, घर से चला मुसाफ़िर,
मायूस हाथ मलता, वापस वो रंग आया,
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
फुर्सत के वक़्त में फिर, सुमिरण का वक़्त आया,
उस वक़्त वक़्त माँगा, जब वक़्त तंग आया,
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
जीवन खतम हुआ तो, जीने का ढंग आया,
जब शम्मा बुझ गयी तो, महफ़िल में रंग आया,
ज़ीवन ख़तम हुआ तो, जीने का ढ़ंग आया,
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जीवन ख़त्म हुवा तो जीने का ढंग आया !! पूज्य श्री देवेन्द्र जी महाराज श्री धाम अयोध्या जी !!
स्वर : परम पूज्य कथा व्यास
श्री देवेन्द्र जी महाराज
श्री धाम अयोध्या जी
नोट - श्री मद् भागवत कथा , श्री राम कथा , भजन संध्या , माता जागरण एवं किसी भी प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान करवाने के लिए पूज्य श्री महाराज जी का संपर्क सूत्र : 9918864820, 8318308580
गीत : नत्था सिंह निर्दोष
सङ्गीत : धर्मेन्द्र पाठक
आशीर्वाद : पूज्य माता - पिता जी
एवं पूज्य गुरुदेव
श्री महन्त बृजमोहन दास जी महाराज
दसरथ गद्दी श्री धाम अयोध्या जी
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