महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी लिरिक्स Mahima Suno Baba Baijnath Ki lyrics
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, आज तुम्हें बतलाता हूँ,
भोला और भोले बाबा की, पावन कथा सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
एक दुखी परिवार था ऐसा, घर में बड़ी तंगहाली थी,
उनके लिए होली ना दशहरा, और ना कोई दिवाली थी,
पति पत्नी थे आँख से अंधे, दुनिया उनकी काली भी,
बेटा एक था नाम था भोला, उम्र अभी तक बाली थी,
भोला था भोले का दीवाना, आगे कथा बढ़ाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
सुबह शाम पूजा करता था, भोला अपने भोले की,
दिल में अपने बसा के रखता सूरत अपने भोले की,
जाता रोज देवघर भोला, जल शिवलिंग पे चढ़ाता था,
बिना चढ़ाये जल शिवलिंग पे, कभी नहीं कुछ खाता था,
भोले के जो भाव था दिल में, भाव वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
माता पिता लाचार हैं उसके, कर्जा सर पे भारी था,
गाँव का ही जमींदार इक, बड़ा ही अत्याचारी था,
कर्जा जो भक्तों चढ़ा था जो उनके ऊपर,
उसे उतार रहा था भोला, करके नौकरी उसके घर पर,
भोले पे क्या गुजर रही थी आज वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
खाना मात पिता की खातिर, रोज बना के जाता था,
दिन भर करता काम खेत में, शाम को वापस आता था,
माता पिता की सेवा करता, भोला पुरे तन मन से,
दिल में बसा के भोले नाथ को, करता भजन मगन मन से,
कैसे किरपा हुई भोले की, भोले पे समझाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
आधा पेट खिला के खाना, काम कराता था दिन भर,
बात बात पे रौब दिखाता, जमींदार उस के पर,
मिलता ना कोई पैसा उसको, ब्याज में सब कट जाता था,
रह जाता मन मार के भोला, मल के हाथ रह जाता था,
हालत क्या थी उन तीनों की कहते हुए घबराता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
फिर एक दिन की बात सुनाऊँ, भोला देवघर में जाके,
सर पे दुखों का बोझ उठाये, बैठा शिव लिंग के आगे,
करके याद दुखों को अपने, फूट फूट के रोने लगा,
बैजनाथ को जल के बदले, अश्रु से अपने धोने लगा,
भोला से मंदिर का पुजारी, बोला जो बतलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
भोला से बोला वो पुजारी, बाबा पे विश्वाश करो,
कष्ट तुम्हारे कट जाएंगे, खुद को तुम ना निराश करो,
बरसेगी तुम पर भी कृपा, इक दिन भोले बाबा की,
कावड़ तुम अब के सावन में, लाना भोले बाबा की,
छंट जाएंगे दुखों के बादल, धीरज तुम्हे बँधाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कुछ दिन यों ही गुजर गए फिर, आया महीना सावन का,
हर हर हर महादेव का, पतित पुण्य पावन काज,
भगवा रंग में रंगने लगे हैं, दोनों किनारे गंगा के,
कावड़ियों की भीड़ लग गई, दोनों किनारें गंगा के,
इंद्र धनुष सी छँटा जो बिखरी, दृश्य वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मात पिता से बोला भोला, मैं भी कावड़ लाऊँगा,
कावड़ लाके हरिद्वार से, देवघर जाके चढ़ाऊंगा,
संग में चलो आप दोनों भी, तीनों कावड़ लाएंगे,
गंगा के पावन जल से हम बाबा को नहलाएंगे,
कह दूँगा मैं जमींदार से, लाने कावड़ जाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बोला भोला, जमींदार से, सुल्तानगंज हमें जाना है,
माता पिता को साथ में लेके, गंगा जल ले आना है,
कावड़ लाके बैजनाथ को, सावन में नहलाना है,
हाथ जोड़ के सच कहता हूँ,झूठा नहीं बहाना है,
आग बबूला हो गया सुन के, फिर क्या हुआ बतलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
करजा उतरा नहीं बाप का, तुझ को भक्ति सूझ रही,
बाँध के तुझको टाँग तू उलटा, अगर जो मस्ती सूझ रही,
बोला रुवासा होक भोला, जमींदार जी जाने दो,
इच्छा जगी है मन में मेरे, कावड़ मुझे ले जाने दो,
जल्दी से तू पहुँच खेत में, वरना तुझे बताता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
जाने नहीं दिया भोला को, सुल्तानगंज कावड़ लाने,
मार पीट के डांट डपट के, काम लगा था करवाने,
मार के मन को रह गया भोला, आ गए आँशु आखों में,
ला ना सका कावड़ बाबा की, पीड़ उठी जज्बातों में,
भोला पे क्या बीत रही थी, आगे सुनों सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मात पिता और भोला तीनों, घर में बैठे सिसक रहे,
अपनी मज़बूरी पे तीनों, चुपके चुपके सिसक रहे,
उधर चला वो जमींदार खुद, सुल्तानगंज कावड़ लाने,
लिखा बिधाता ने जो आगे, भाग्य बिधाता ही जानें,
कभी किसी का दिल ना दुखाना, बार बार समझाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
लगी समाधि भोले नाथ की, दोनों आँखें बंद किये,
देख रहे हर एक एक को, दोनों आँखें बंद किये,
जमींदार को देख हँस पड़े, दोनों आँखें बंद किए,
देख रहे भोला को भोले, दोनों आँखें बंद किए,
मैं ही हँसाता मैं ही रुलाता, मैं ही नाच नचाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मुस्काये फिर खड़े हो गए, बन गए पुरे कावड़िया,
भगवा वस्त्र लपेटा तन पे, गमछा डाला केसरिया,
भेष बना के कावड़िये का, वहां से अंतर्ध्यान हुए,
अपने भक्त भोला की खातिर, भगवान् से इंसान हुए,
भक्त के वश भगवान् हैं कैसे, आओ तुम्हे दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ियों के बीच में भोले, कावड़ लेके चलते हैं,
अगड़ बम बम बम लहरी, के बम बम बोल निकलते हैं,
पिके भाँग चिलम सुलगा के, भोले नांच रहे छम छम,
हाथ में कावड़ पाँव में घुंघरू, बाबा नाच रहे छम छम,
लीलाधारी भोले नाथ के, दर्शन आज कराता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
चला जा रहा अपनी धुन में, जमींदार कावड़ लेकर,
कार एक तेजी से आई, उसको मार गई टक्कर,
कावड़ टूटी बिखर गया जल, हाथ पाँव टूटे उसके,
पता नहीं था जमींदार को, भोलेनाथ रूठे उसपे,
वैसी करनी वैसी भरनी, फिर क्या हुआ ये सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ियों के साथ में भोले, कावड़ लेके जाते हैं,
भक्त अगर कोई दिल से पुकारे, भोले फिर झुक जाते हैं,
कावड़ लेके पहुँच गए वो, जहाँ पे बैठा था भोला,
कावड़ देके भोला को फिर, भोला से भोला बोला,
लो कावड़ मेरी बेटा तुम, थका हूँ ना चल पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
स्वांग रचाया भोले नाथ ने, पेट पकड़ के बैठ गए,
दर्द से तड़प रहें हैं जैसे, वहीँ घास पे लेट गए,
भोला बोला भोलेनाथ से, तुम्हे कहाँ को जाना है,
पहुँचा दूँगा देके सहारा, कहो कहाँ को जाना है,
बैठो थोड़ी देर यहीं पे, दवा अभी मैं लाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बोले भोला से यूँ भोले, मुझे देवघर जाना है,
जाके बाबा बैजनाथ पे कावड़ मुझे चढ़ाना है,
चल ना सकूंगा अब मैं आगे, कावड़ मेरी पहुँचा दो,
मेरी तरफ से वैजनाथ को, गंगाजल से नहला दो,
मना ना करना बेटा मुझको, उठ बैठ नहीं पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ लेके भोलेनाथ की, भोला पहुँच गया देवघर,
महिमा देखों वैजनाथ की, किरपा बड़ी हुई उस पर,
भोला ने जैसे जल डाला, हलचल हुई देवघर में,
शिवलिंग में शाशाक्त महाशिव प्रकट हो गए पल भर में,
बैजनाथ ने भोलेनाथ के, दर्शन तुम्हें करता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बम बम बम बम अगड़ बम बबम बम बम भोले गूँज उठा,
जय जय शम्भू जय शिव शम्भू, सारा देवघर गूँज उठा,
दर्शन देके सभी को शिवजी, वहाँ से अंतर्ध्यान हुए,
देख के सूरत उस भोला की, सभी बड़े हैरान हुए,
भोला के माँ बाप के संग में, फिर क्या हुआ बताता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
भोला के माँ बाप थे बैठे, ओढ़ अँधेरे की चादर,
आज एक निर्धन के घर में, भोले प्रकट हुए आकर,
आखों में आ गई रौशनी, पल भर में उन दोनों के,
खड़े थे शिव भोले भंडारी, देखो सामने दोनों के,
वहाँ का वो अलौकिक मन्जर, बयाँ नहीं कर पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
उन दोनों को दर्शन देके, अंतर्ध्यान हुए भोले,
हर्षित हो पति पत्नी दोनों, बोल उठे बम बम भोले,
आया भोला घर जब अपने, दौड़ के गले लगाया है,
भोले नाथ का चमत्कार फिर, भोला को बतलाया है,
लिखी कथा "सुखदेव" ने भक्तों, कहे "देवेंद्र" मैं गाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
टुटा फूटा जमींदार फिर, आया भोला के घर पर,
हाथ जोड़ के मांफी माँगी, बैठ के रोया जी भर कर,
दर्शन दिए तुझे भोले ने, हमने यही सुना सबसे,
क्षमा माँगने की खातिर मैं, तुझको ढूंढ़ रहा तब से,
क्षमा माँगता हूँ तीनों से,चरणन शीश झुकाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
भोला और भोले बाबा की, पावन कथा सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
ॐ नमः शिवाय, ॐ नमः शिवाय,
एक दुखी परिवार था ऐसा, घर में बड़ी तंगहाली थी,
उनके लिए होली ना दशहरा, और ना कोई दिवाली थी,
पति पत्नी थे आँख से अंधे, दुनिया उनकी काली भी,
बेटा एक था नाम था भोला, उम्र अभी तक बाली थी,
भोला था भोले का दीवाना, आगे कथा बढ़ाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
सुबह शाम पूजा करता था, भोला अपने भोले की,
दिल में अपने बसा के रखता सूरत अपने भोले की,
जाता रोज देवघर भोला, जल शिवलिंग पे चढ़ाता था,
बिना चढ़ाये जल शिवलिंग पे, कभी नहीं कुछ खाता था,
भोले के जो भाव था दिल में, भाव वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
माता पिता लाचार हैं उसके, कर्जा सर पे भारी था,
गाँव का ही जमींदार इक, बड़ा ही अत्याचारी था,
कर्जा जो भक्तों चढ़ा था जो उनके ऊपर,
उसे उतार रहा था भोला, करके नौकरी उसके घर पर,
भोले पे क्या गुजर रही थी आज वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
खाना मात पिता की खातिर, रोज बना के जाता था,
दिन भर करता काम खेत में, शाम को वापस आता था,
माता पिता की सेवा करता, भोला पुरे तन मन से,
दिल में बसा के भोले नाथ को, करता भजन मगन मन से,
कैसे किरपा हुई भोले की, भोले पे समझाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
आधा पेट खिला के खाना, काम कराता था दिन भर,
बात बात पे रौब दिखाता, जमींदार उस के पर,
मिलता ना कोई पैसा उसको, ब्याज में सब कट जाता था,
रह जाता मन मार के भोला, मल के हाथ रह जाता था,
हालत क्या थी उन तीनों की कहते हुए घबराता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
फिर एक दिन की बात सुनाऊँ, भोला देवघर में जाके,
सर पे दुखों का बोझ उठाये, बैठा शिव लिंग के आगे,
करके याद दुखों को अपने, फूट फूट के रोने लगा,
बैजनाथ को जल के बदले, अश्रु से अपने धोने लगा,
भोला से मंदिर का पुजारी, बोला जो बतलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
भोला से बोला वो पुजारी, बाबा पे विश्वाश करो,
कष्ट तुम्हारे कट जाएंगे, खुद को तुम ना निराश करो,
बरसेगी तुम पर भी कृपा, इक दिन भोले बाबा की,
कावड़ तुम अब के सावन में, लाना भोले बाबा की,
छंट जाएंगे दुखों के बादल, धीरज तुम्हे बँधाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कुछ दिन यों ही गुजर गए फिर, आया महीना सावन का,
हर हर हर महादेव का, पतित पुण्य पावन काज,
भगवा रंग में रंगने लगे हैं, दोनों किनारे गंगा के,
कावड़ियों की भीड़ लग गई, दोनों किनारें गंगा के,
इंद्र धनुष सी छँटा जो बिखरी, दृश्य वही दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मात पिता से बोला भोला, मैं भी कावड़ लाऊँगा,
कावड़ लाके हरिद्वार से, देवघर जाके चढ़ाऊंगा,
संग में चलो आप दोनों भी, तीनों कावड़ लाएंगे,
गंगा के पावन जल से हम बाबा को नहलाएंगे,
कह दूँगा मैं जमींदार से, लाने कावड़ जाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बोला भोला, जमींदार से, सुल्तानगंज हमें जाना है,
माता पिता को साथ में लेके, गंगा जल ले आना है,
कावड़ लाके बैजनाथ को, सावन में नहलाना है,
हाथ जोड़ के सच कहता हूँ,झूठा नहीं बहाना है,
आग बबूला हो गया सुन के, फिर क्या हुआ बतलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
करजा उतरा नहीं बाप का, तुझ को भक्ति सूझ रही,
बाँध के तुझको टाँग तू उलटा, अगर जो मस्ती सूझ रही,
बोला रुवासा होक भोला, जमींदार जी जाने दो,
इच्छा जगी है मन में मेरे, कावड़ मुझे ले जाने दो,
जल्दी से तू पहुँच खेत में, वरना तुझे बताता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
जाने नहीं दिया भोला को, सुल्तानगंज कावड़ लाने,
मार पीट के डांट डपट के, काम लगा था करवाने,
मार के मन को रह गया भोला, आ गए आँशु आखों में,
ला ना सका कावड़ बाबा की, पीड़ उठी जज्बातों में,
भोला पे क्या बीत रही थी, आगे सुनों सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मात पिता और भोला तीनों, घर में बैठे सिसक रहे,
अपनी मज़बूरी पे तीनों, चुपके चुपके सिसक रहे,
उधर चला वो जमींदार खुद, सुल्तानगंज कावड़ लाने,
लिखा बिधाता ने जो आगे, भाग्य बिधाता ही जानें,
कभी किसी का दिल ना दुखाना, बार बार समझाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
लगी समाधि भोले नाथ की, दोनों आँखें बंद किये,
देख रहे हर एक एक को, दोनों आँखें बंद किये,
जमींदार को देख हँस पड़े, दोनों आँखें बंद किए,
देख रहे भोला को भोले, दोनों आँखें बंद किए,
मैं ही हँसाता मैं ही रुलाता, मैं ही नाच नचाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
मुस्काये फिर खड़े हो गए, बन गए पुरे कावड़िया,
भगवा वस्त्र लपेटा तन पे, गमछा डाला केसरिया,
भेष बना के कावड़िये का, वहां से अंतर्ध्यान हुए,
अपने भक्त भोला की खातिर, भगवान् से इंसान हुए,
भक्त के वश भगवान् हैं कैसे, आओ तुम्हे दिखलाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ियों के बीच में भोले, कावड़ लेके चलते हैं,
अगड़ बम बम बम लहरी, के बम बम बोल निकलते हैं,
पिके भाँग चिलम सुलगा के, भोले नांच रहे छम छम,
हाथ में कावड़ पाँव में घुंघरू, बाबा नाच रहे छम छम,
लीलाधारी भोले नाथ के, दर्शन आज कराता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
चला जा रहा अपनी धुन में, जमींदार कावड़ लेकर,
कार एक तेजी से आई, उसको मार गई टक्कर,
कावड़ टूटी बिखर गया जल, हाथ पाँव टूटे उसके,
पता नहीं था जमींदार को, भोलेनाथ रूठे उसपे,
वैसी करनी वैसी भरनी, फिर क्या हुआ ये सुनाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ियों के साथ में भोले, कावड़ लेके जाते हैं,
भक्त अगर कोई दिल से पुकारे, भोले फिर झुक जाते हैं,
कावड़ लेके पहुँच गए वो, जहाँ पे बैठा था भोला,
कावड़ देके भोला को फिर, भोला से भोला बोला,
लो कावड़ मेरी बेटा तुम, थका हूँ ना चल पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
स्वांग रचाया भोले नाथ ने, पेट पकड़ के बैठ गए,
दर्द से तड़प रहें हैं जैसे, वहीँ घास पे लेट गए,
भोला बोला भोलेनाथ से, तुम्हे कहाँ को जाना है,
पहुँचा दूँगा देके सहारा, कहो कहाँ को जाना है,
बैठो थोड़ी देर यहीं पे, दवा अभी मैं लाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बोले भोला से यूँ भोले, मुझे देवघर जाना है,
जाके बाबा बैजनाथ पे कावड़ मुझे चढ़ाना है,
चल ना सकूंगा अब मैं आगे, कावड़ मेरी पहुँचा दो,
मेरी तरफ से वैजनाथ को, गंगाजल से नहला दो,
मना ना करना बेटा मुझको, उठ बैठ नहीं पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
कावड़ लेके भोलेनाथ की, भोला पहुँच गया देवघर,
महिमा देखों वैजनाथ की, किरपा बड़ी हुई उस पर,
भोला ने जैसे जल डाला, हलचल हुई देवघर में,
शिवलिंग में शाशाक्त महाशिव प्रकट हो गए पल भर में,
बैजनाथ ने भोलेनाथ के, दर्शन तुम्हें करता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
बम बम बम बम अगड़ बम बबम बम बम भोले गूँज उठा,
जय जय शम्भू जय शिव शम्भू, सारा देवघर गूँज उठा,
दर्शन देके सभी को शिवजी, वहाँ से अंतर्ध्यान हुए,
देख के सूरत उस भोला की, सभी बड़े हैरान हुए,
भोला के माँ बाप के संग में, फिर क्या हुआ बताता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
भोला के माँ बाप थे बैठे, ओढ़ अँधेरे की चादर,
आज एक निर्धन के घर में, भोले प्रकट हुए आकर,
आखों में आ गई रौशनी, पल भर में उन दोनों के,
खड़े थे शिव भोले भंडारी, देखो सामने दोनों के,
वहाँ का वो अलौकिक मन्जर, बयाँ नहीं कर पाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
उन दोनों को दर्शन देके, अंतर्ध्यान हुए भोले,
हर्षित हो पति पत्नी दोनों, बोल उठे बम बम भोले,
आया भोला घर जब अपने, दौड़ के गले लगाया है,
भोले नाथ का चमत्कार फिर, भोला को बतलाया है,
लिखी कथा "सुखदेव" ने भक्तों, कहे "देवेंद्र" मैं गाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी, महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
टुटा फूटा जमींदार फिर, आया भोला के घर पर,
हाथ जोड़ के मांफी माँगी, बैठ के रोया जी भर कर,
दर्शन दिए तुझे भोले ने, हमने यही सुना सबसे,
क्षमा माँगने की खातिर मैं, तुझको ढूंढ़ रहा तब से,
क्षमा माँगता हूँ तीनों से,चरणन शीश झुकाता हूँ,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
महिमा सुनों बाबा बैजनाथ जी,
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