भजन बिना कोई न जागै रे लिरिक्स Bhajan Bina Koi Na Jage Re Lyrics

भजन बिना कोई न जागै रे लिरिक्स Bhajan Bina Koi Na Jage Re Lyrics


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भजन बिना कोई न जागै रे,
लगन बिना कोई न जागे रै
तेरा जनम जनम का पाप करेड़ा,
रंग कैसे लागे रै,
भजन बिना कोई न जागै रे,
रंग कैसे लागे रै,
बगैर भजन के कोई नहीं जाग सकता है, जागने से आशय है की मोह माया के भरम जाल को समझना और इस भ्रम को समझ लेना की कोई रिश्ते नाते स्वंय के काम नहीं आते हैं और इस जगत में हरी के नाम का सुमिरन ही मुक्ति का आधार है बाकी साथ माया नहीं जानी है। यही सत्य का ज्ञान जब हो जाता है तो वह जागना है। तेरे जनम जनम के पाप किये हुए हैं भक्ति रंग यकायक तो कैसे लगेगा। इसके लिए सतत मेहनत करनी पड़ेगी।
संता की संगत करी कोनी भँवरा,
भरम कइयाँ भागै रै,
राम नाम की सार कोनी जाणै,
बाताँ मे आगै रै,
संतजन और साधू जन की संगति नहीं की उनके गुणों को धारण नहीं किया, उनके बताये गए मार्ग का अनुसरण नहीं किया तो यह भरम कैसेदूर होगा ? राम के नाम का सार तभी प्राप्त होने वाला है जब उसके मर्म को समझ लिया जाए।
या संसार काळ वाली गीन्डी (गेंद),
टोरा (लातों की लगना) लागे रै,
गुरु गम चोट सही कोनी जावै,
पगाँ ने लागे रै,
यह संसार काल की गेंद के समान है जिसके समय की चोट लगती रहती है। गुरु के ज्ञान को यदि धारण नहीं किया तो भाई दुर्गति होनी तय है।
सत सुमिरण का सैल बणाले,
संता सागे रै,
नार सुषमणा राड़ लडै जद,
जमड़ा भागै रै,
सत्य नाम के सुमिरन/ हरी के नाम के सुमिरण को अपना आधार बना ले, संतो के साथ रहकर तभी रहस्य समझ में आएगा। जितना तुम संतजन के साथ रहोगे उतना ही रहस्य समझ में आएगा। जब कमल नाभि /सुषम्ना जाग्रत होगी तभी जम /यम भागेगा, आवागमन दूर होगा और मृत्यु का भय समाप्त होगा।
नाथ गुलाब सत संगत करले,
संता सागे रै,
भानीनाथ अरज कर गावै,
सतगुराँजी के आगै रै,
गुलाब नाथ जी की अमृत वाणी है की संतों और साधुजन की संगत कर लो तभी मुक्ति सम्भव है - आदेश/आदेश (जय श्री नाथ जी महाराज )


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