कबीर चन्दन का बिड़ा बैठ्या आक पलास हिंदी मीनिंग Kabir Chandan Ka Beeda Baithya Aak Palas Hindi Meaning

कबीर चन्दन का बिड़ा बैठ्या आक पलास हिंदी मीनिंग Kabir Chandan Ka Beeda Baithya Aak Palas Hindi Meaning

 
कबीर चन्दन का बिड़ा बैठ्या आक पलास हिंदी मीनिंग Kabir Chandan Ka Beeda Baithya Aak Palas Hindi Meaning

कबीर चन्दन का बिड़ा, बैठ्या आक पलास।
आप सरीखे करि लिए जे होत उन पास॥

Kabeer Chandan Ka Bida, Baithya Aak Palaas.
Aap Sareekhe Kari Lie Je Hot Un Paas.
 
यदि चंदन का वृक्ष आक और पलास के आस पास है तो वह उनको भी सुगन्धित कर देता है। भाव है की सद्पुरुषों की शरण में पड़ा इंसान पाप मुक्त हो जाता है और गुणवान हो जाता है।

मेरे संगी दोइ जणाँ एक बैष्णों एक राँम।
वो है दाता मुकति का, वो सुमिरावै नाँम॥
Mere Sangee Doi Janaan Ek Baishnon Ek Raanm.
Vo Hai Daata Mukati Ka, Vo Sumiraavai Naanm.
 
मेरे दो ही संगी हैं एक तो वैष्णव जो राम के नाम के सुमिरण को याद दिलाता है और दूसरा स्वंय मुक्ति के दाता श्री राम (ईश्वर)।

कबीरा बन बन में फिरा, कारणि अपणें राँम।
राम सरीखे जन मिले, तिन सारे सब काँम॥
Kabeera Ban Ban Mein Phira, Kaarani Apanen Raanm.
Raam Sareekhe Jan Mile, Tin Saare Sab Kaanm.
 
राम की प्राप्ति हेतु मैं बन बन फिरा, राम की प्राप्ति हेतु मैं काफी भटका और इस यात्रा से राम सरीखे जन मिले जिन्होंने मेरे सभी काम पूर्ण कर दिए। हरी भक्त मिलने पर ही हरी मिलन संभव होती है।
 

भजन बिने मन बाँवरे
तूने हीरा जन्म गंवाया

जोरू लड़के धन के साथी
ममता महल बनाया
भजन बिने मन बाँवरे,

तू कहता है मेरा मेरा
कोई नहीं है तेरा
भजन बिने मन बाँवरे,

कभी ना आया संत चरण में
कभी ना हरि गुण गाया
भजन बिने मन बाँवरे,

कहत कबीरा सुनो भाई साधो
तेरे हाथ कछु नहीं पाया
भजन बिने मन बाँवरे,

कबीर सोई दिन भला, जा दिन संत मिलाहिं।
अंक भरे भरि भेटिया, पाप सरीरौ जाँहिं॥
Kabeer Soee Din Bhala, Ja Din Sant Milaahin.
Ank Bhare Bhari Bhetiya, Paap Sareerau Jaanhin.

वही दिन अच्छा है जिस रोज संत का मिलन होता हो, ऐसे संतजन को गले से लगा लेना चाहिए जिससे समस्त पाप कट जाते हैं। भाव है की संतजन और साधुजन की संगती से पाप का अंत होता है और सद्बुद्धि का संचार होता है।


कबीर खाईं कोट की, पांणी पीवे न कोइ
आइ मिलै जब गंग मैं, तब सब गंगोदिक होइ॥
Kabeer Khaeen Kot Kee, Paannee Peeve Na Koi
Aai Milai Jab Gang Main, Tab Sab Gangodik Hoi.

कीले से निकलने वाली गन्दी नाली का पानी कोई नहीं पीता है लेकिन यही नाली जब गंगा नदी में मिल जाती है तो वह गंगाजल ही कहलाती है। भाव है की हमें सद्पुरुषों की संगत में रहना चाहिए इससे हमारे पाप धुल जाते हैं और सद्मार्ग पर बढ़ने की राह प्रशस्त होती है।
जाँनि बूझि साचहि तजै, करैं झूठ सूँ नेह।
ताको संगति राम जी, सुपिनै हो जिनि देहु॥
Jaanni Boojhi Saachahi Tajai, Karain Jhooth Soon Neh.
Taako Sangati Raam Jee, Supinai Ho Jini Dehu.

जो जान बूझ कर सत्संगति का त्याग करते हैं और झूठ से स्नेह करते हैं ऐसे लोगों की संगती हे राम जी मुझे सपने में भी मत दो। भाव है की हमें उन्ही व्यक्तियों की संगती करनी चाहिए जो सत्य के मार्ग पर चले। माया और विषय विकार में पड़े व्यक्तिओं से हमें दूर रहना चाहिए।
कबीर संगति साध की, बेगि करीजैं जाइ।
दुरमति दूरि गँवाइसी, देसी सुमति बताइ॥
Kabīra Saṅgati Sādha Kī, Bēgi Karījaiṁ Jā'i.
Duramati Dūri Gam̐vā'isī, Dēsī Sumati Batā'i.

हे प्रभु तुम मुझे उस व्यक्ति से मिलाओ/भेंट कराओ जिसके हृदय में आपका निवास हो, जिसका आधार आप ही हो, अन्यथा आप मुझे इस संसार से उठा लो क्योंकि नित्य की कुसंगति को कोई कौन रोज रोज सहन कर सकता है।

कबीर तास मिलाइ, जास हियाली तूँ बसै।
वहि तर वेगि उठाइ, नित को गंजन को सहै॥
Kabīra Tāsa Milā'i, Jāsa Hiyālī Tūm̐ Basai.
Vahi Tara Vēgi Uṭhā'i, Nita Kō Gan̄jana Kō Sahai.

हे ईश्वर मुझे आप उससे मिला दो जिसके हृदय में आपका निवास हो, या तो मुझे इस संसार से ही उठा लो क्योंकि रोज की कुसंगति किससे सहन होगी।

केती लहरि समंद की, कत उपजै कत जाइ।
बलिहारी ता दास की, उलटी माँहि समाइ॥
Ketee Lahari Samand Kee, Kat Upajai Kat Jai.
Balihaaree Ta Daas Kee, Ulatee Maanhi Samai.

इस संसार में कई लोग जनम लेते हैं और कितने ही मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं, इस संसार रूपी सागर में कई लहरे उठती हैं। मैं तो उस दास को समर्पित हूँ जो वापस उसी ब्रह्म लहर में लीन हो जाता है।
काजल केरी कोठढ़ी, काजल ही का कोट।
बलिहारी ता दास की, जे रहै राँम की ओट॥
Kaajal Keree Kothadhee, Kaajal Hee Ka Kot.
Balihaaree Ta Daas Kee, Je Rahai Raanm Kee Ot.

Kabir Doha Hindi Mening : कबीर दोहा हिंदी मीनिंग/भावार्थ :यह संसार काजल की कोठरी के समान है, साहेब उस व्यक्ति को बलिहारी जाते हैं जो मोह माया और विकार से दूर रहते हैं।

भगति हजारी कपड़ा, तामें मल न समाइ।
साषित काली काँवली, भावै तहाँ बिछाइ॥
Bhagati Hajaaree Kapada, Taamen Mal Na Samai.
Saashit Kaalee Kaanvalee, Bhaavai Tahaan Bichhai.

भक्ति एक तरह के महंगे हजारी वस्त्र के समान है, जिसमे कोई मेल नहीं लगता है, वही शाक्य लोग तो काली कम्बल की तरह से होते हैं जिन्हें कहीं भी बिछा लो और कही भी ओढ़ लो। भाव है की शाक्य लोगों की तुलना में सच्ची भक्ति अधिक महत्त्व रखती है।


निरबैरी निहकाँमता, साँई सेती नेह।
विषिया सूँ न्यारा रहै, संतहि का अँग एह॥
Nirabairee Nihakaanmata, Saanee Setee Neh.
Vishiya Soon Nyaara Rahai, Santahi Ka Ang Eh.

संतो को परिभाषित करते हुए साहेब की वाणी है की संत जन किसी से बैर भाव नहीं रखते हैं, हर कार्य को वे बगैर फल की आशा के पूर्ण करते हैं, ईश्वर से भक्ति रखना और विषय विकार से दूर रखना।


संत न छाड़ै संतई, जे कोटिक मिलै असंत।
चंदन भुवंगा बैठिया, तउ सीतलता न तजंत॥
Sant Na Chhaadai Santee, Je Kotik Milai Asant.
Chandan Bhuvanga Baithiya, Tau Seetalata Na Tajant.

संत जन अपनी अच्छाई का त्याग नहीं करते हैं भले ही वे करोड़ों दुष्टों से मिलें, जैसे चंदन के वृक्ष पर सांप लिपटे रहते हैं लेकिन वह अपनी सुगंध और गुणों का त्याग नहीं करता है और सांप की तरह से विष धारण नहीं करता है। भाव है की हम कैसे भी वातावरण में रहें हमें अपनी अच्छाइयों और नेकी को नहीं छोड़ना चाहिए।

कबीर हरि का भाँवता, दूरैं थैं दीसंत।
तन षीणा मन उनमनाँ, जग रूठड़ा फिरंत॥
Kabeer Hari Ka Bhaanvata, Doorain Thain Deesant.
Tan Sheena Man Unamanaan, Jag Roothada Phirant.

साहेब की वाणी है की हरी से भक्ति रखने वाला व्यक्ति/दास दूर से ही नजर आ जाता है। उसका तन क्षीण दिखाई देता है और मन उन्मना (बेचैन) दिखाई देता है तथा जग से वह रूठा हुआ दिखाई प्रतीत होता है। भाव है की जिसे हरी भक्ति की लगन लग जाती है वह इस संसार से विरक्त हो जाता है और सांसारिक क्रियाओं में उसका मन नहीं लगता है।

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