चलना है दूर मुसाफ़िर लिरिक्स Chalna Hai Door Musafir Lyrics Hari Om Sharan Bhajan Lyrics

चलना है दूर मुसाफ़िर लिरिक्स Chalna Hai Door Musafir Lyrics Hari Om Sharan Bhajan Lyrics

जीवन की यात्रा कुछ ऐसी है की पथिक जगत में आकर स्वंय को यहीं का मान लेता है, इस जगत को ही अपना घर समझ लेता है। समय समय पर ग्यानी जनों ने भ्रम में पड़े लोगों को चेतावनी भजन के माध्यम से चेताया है की तुम मुसाफ़िर हो/ पथिक हो और तुम्हे एक रोज तो ना चाहते हुए भी चलना ही पड़ेगा, इस जगत को छोड़ कर आगे की यात्रा शुरू करनी पड़ेगा। इसलिए चेतन अवस्था में आवो, सजग रहो भ्रम का शिकार मत बनो और अज्ञान की नींद से जागो। बहुत ही जतन के उपरान्त यह मानव देह मिली है जो ऐसे ही सस्ते में (माया) बर्बाद मत करो, हरी सुमिरन ही इस जीवन का आधार है। राह बहुत कठिन है क्योंकि तुम्हारे सर पर तो मोह माया और पाप की गठरी लदी हुई है जो तुमने ही इकट्ठी की है। इसे यही पर छोड़ दो क्योंकि नाँव पुरानी है और राह विकट है। कबीर साहेब ने अपनी वाणी में कई स्थानों पर माया के भ्रम जाल को समझाने की कोशिश की है। ब्याज है मोह और माया जबकि हरी सुमिरन मूल पूंजी है, इसलिए ब्याज के चक्कर में मूल को मत गँवा! _सत श्री कबीर साहेब

चलना है दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे,
काहे सोवे रे,
मुसाफिर, काहे सोवे रे।

चेत अचेत नर सोच बाँवरे,
बहुत नींद मत सोवे रे,
चेत अचेत नर सोच बाँवरे,
बहुत नींद मत सोवे रे,
काम क्रोध, मद लोभ में फँसकर,
उमरिया काहे खोवे रे,
उमरियाँ काहे खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे,
चलना हैं दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे।

सर पर माया मोह की गठरी,
संग दूत तेरे होवे रे,
सिर पर माया मोह की गठरी,
संग दूत तेरे होवे रे,
सो गठरी तोरी बीच में छिन गई,
मूंड पकड़ कहा रोवे रे,
चलना है दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे,
चलना हैं दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे।

रस्ता तो दूर कठिन है,
चल अब अकेला होवे रे,
संग साथ तेरे कोई ना चलेगा,
काके डगरिया जोवे रे,
चलना है दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे,
चलना हैं दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे।

नदियाँ गहरी नाँव पुरानी,
केही विधि पार तू होवे रे,
नदियां गहरी नाँव पुरानी,
केही विधि पार तू होवे रे,
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
ब्याज धोके मूल मत खोवे रे,
चलना है दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे,
चलना हैं दूर मुसाफ़िर,
काहे सोवे रे।
 

Chalna Hai Dur Musafir · Hari Om Sharan

चलना है दूर मुसाफ़िर लिरिक्स Chalna Hai Door Musafir Lyrics Hari Om Sharan Bhajan Lyrics

Chalana Door Hai Musaafir,
Kaahe Sove Re,
Kaahe Sove Re,
Musaaphir, Kaahe Sove Re.


Chet Achet Nar Soch Baanvare,
Bahut Neend Mat Sove Re,
Chet Achet Nar Soch Baanvare,
Bahut Neend Mat Sove Re,
Kaam Krodh, Mad Lobh Mein Phansakar,
Umariya Kaahe Khove Re,
Umariyaan Kaahe Khove Re,
Chalana Door Hai Musaafir,
Kaahe Sove Re,
Chalana Door Hain Musaafir,
Kaahe Sove Re.

Sar Par Maaya Moh Kee Gatharee,
Angadaan Ho Tumave Re,
Sir Par Maaya Moh Kee Gatharee,
Angadaan Ho Tumave Re,
So Gatharee Toree Beech Mein Chhin Gaee,
Moond Pakad Ne Rove Re,
Chalana Door Hai Musaafir,
Kaahe Sove Re,
Chalana Door Hain Musaafir,
Kaahe Sove Re.

Rasta To Door Kathin Hai,
Ab Akele Ja Rahe Hain Re Re,
Sange Tera Na Na Chalega,
Kaake Dagariya Jove Re,
Chalana Door Hai Musaafir,
Kaahe Sove Re,
Chalana Door Hain Musaafir,
Kaahe Sove Re.

Nadiyaan Gaharee Naanv Puraanee,
Kehee Vidhi Paar Too Hove Re,
Nadiyaan Gaharee Naanv Puraanee,
Kehee Vidhi Paar Too Hove Re,
Kahe Kabeer Suno Bhaee Saadho,
Byaaj Dho Ke Mool Mat Khove Re,
Chalana Door Hai Musaafir,
Kaahe Sove Re,
Chalana Door Hain Musaafir,
Kaahe Sove Re.

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