ज्ञान प्रकास्या गुर मिल्या हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

ज्ञान प्रकास्या गुर मिल्या हिंदी मीनिंग Gyan Prakasya Gur Milya Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Bhavarth/Hindi Arth Sahit

ग्यान प्रकास्या गुर मिल्या, सो जिनि बीसरि जाइ।
जब गोबिंद कृपा करी, तब गुर मिलिया आइ॥

Gyan Prakasya Gur Milya, So Jini Bisari Jaai,
Jab Govind Kripa Kari, Tab Gur Miliya Aai.
 
ज्ञान प्रकास्या गुर मिल्या हिंदी मीनिंग Gyan Prakasya Gur Milya Hindi Meaning Kabir Ke Dohe
 

कबीर के दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha"Gyan Prasya Gur Milya"

ग्यान प्रकास्या - ज्ञान को प्रकाशित करने वाला, ज्ञान देने वाला.
गुर मिल्या-  जब गुरु मिला.
सो जिनि - जो व्यक्ति.
बीसरि जाइ- भुला देता है, विस्मृत कर देता है.
जब गोबिंद कृपा करी- जब गोविन्द ने कृपा करी/ज्ञान समझ प्रदान की.
तब गुर मिलिया आइ- तब गुरु से भेंट हुई.

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग : गुरु से भेंट होने पर ज्ञान रूपी प्रकाश उत्पन्न हुआ है. ऐसे ज्ञान स्वरुप गुरु से विमुख नहीं होना चाहिए, गुरु को विस्मृत नहीं करना चाहिए. यह इश्वर की ही कृपा है की गुरु से भेंट हो पाई है. यह इश्वर की कृपा ही है की सतगुरु की प्राप्ति संभव हो पाई है. इस महिमा युक्त गुरु को कभी भी विस्मृत नहीं करना चाहिए. इस साखी में गुरु की महत्ता को बताया गया है और साथ ही इश्वर की कृपा से ही गुरुदेव की प्राप्ति होती है. 
 
उल्लेखनीय है की गुरु की कृपा के बगैर साधक में भटकाव होता है. ज्ञान के अभाव में वह लोकोचार और देखा देखी अनुसरण करता है. यह भक्ति मार्ग का ही भटकाव है. साहेब की इनके विरुद्ध मान्यता है की इश्वर की प्राप्ति के लिए किसी बाह्य कार्य की आवश्यकता नहीं है. शाश्त्रों का अनुसरण करना, लोगों का अनुसरण करना यथा कर्मकांड, तीर्थ आदि भक्ति के लिए कोई मायने नहीं रखते हैं. यह भटकाव भी माया के कारण ही होता है. माया के इस भ्रम को गुरु अपने ज्ञान से दूर करता है. साधक को वास्तविक सत्य दिखाता है. सत्य का ज्ञान ही तत्वज्ञान है। 

करनी करे तो क्यों डरे और कर ही क्यों पछ्ताएं,
तूने बोया पेड़ बबूल का, फिर आम कहां से खाएं,
करनी का रजमा नहीं, थोथे बांधें तीर
बिरह बाण जिनको लगा, विकल होत शरीर
करनी बिन कथनी कथे अज्ञानी दिन रात
कूकर सामान भूसत फिरे यह सुनी सुनाई बात
करना रे होय सो कर ले रे साधो,
थारो मनक जनम दुहेलो है
लख चौरासी में भटकत भटकत
थारें अब के मिल्यो महेलो हैं
जप तप नेम वृत और पूजा
षट दर्शन को गैलो हैं,
पार ब्रह्म को जानत नाहीं
सब भूल्या भूल्या भरम बहेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधों।
कोई कहे हरि बसे वैकुंठा
कोई गौ लोक कहेलो हैं,
कोई कहे शिव नगरी में साहिब
जुग जुग हाट बहेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो,
अणसमझ्या हरि दूर बतावें,
कोई समझ्या साथ कहेलो है
सदगुरु सैण अमोलक दीन्ही
हर दम हर को गैलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधों।
जिया राम गुरु पूरा म्हाने मिल गया
कोई अजपा जाप जपेलो है
कहे बनानाथ सुनो भाई साधो
म्हारा सदगुरु जी को हेलो है
करना रे होय सो कर ले रे साधो। 
Gyan Prakasya Gur Milya, So Jini Bisari Jaai,
Jab Govind Kripa Kari, Tab Gur Miliya Aai.
रजमा = ठौर ठिकाना
थोथा = व्यर्थ का दिखावा, झूठा
विकल = व्याकुल, बेचैन, अपूर्ण.
कूकर = कुत्ता
भूसत = व्यर्थ बकना, भौंकना,
कथनी = बातें कहना,
मनक/मानिक = मणि, लाल रंग का एक बहुमूल्य हीरा,
दुहेलो = दुर्लभ, कीमती,
महेलो = मौका, सुअवसर,
गैलो = मार्ग, रास्ता
पार ब्रह्म = सबके ऊपर, ईश्वर, परमात्मा, पूर्ण परम ब्रह्म.
भरम = धोखा, संदेह, छल.
बहेलो = बहकावे में आ जाना,
साहिब = परमात्मा, ईश्वर
वैकुंठ = पुराणानुसार वह स्थान जहां भगवान विष्णु रहते हैं, स्वर्ग
सैण, सैन = ईशारा. संकेत
अमोलक = अमूल्य, कीमती, बहुमूल्य.
अजपा = जो जपा ना जाए
हेलो = पुकार, हाँक.
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