दुलहिन अँगिया काहे न धोवाई मीनिंग Dulahniya Angiya Kahe Na Dhovai Meaning

दुलहिन अँगिया काहे न धोवाई मीनिंग Dulahniya Angiya Kahe Na Dhovai Meaning

दुलहिन अँगिया काहे न धोवाई।
बालपने की मैली अँगिया विषय-दाग़ परिजाई।
बिन धोये पिय रीझत ना हीं, सेज सें देत गिराई।
सुमिरन ध्यान कै साबुन करि ले सत्तनाम दरियाई।
दुबिधा के भेद खोल बहुरिया मन कै मैल धोवाई।
चेत करो तीनों पन बीते, अब तो गवन नगिचाई।
पालनहार द्वार हैं ठाढ़ै अब काहे पछिताई।
कहत कबीर सुनो री बहुरिया चित अंजन दे आई॥
 
दुलहिन अँगिया काहे न धोवाई मीनिंग Dulahniya Angiya Kahe Na Dhovai Meaning
 

आत्मा दुल्हन की तरह से है, जीवात्मा से सम्बोधन है की तुमने अपनी अंगिया क्यों नहीं धोई है ? यह तो बचपन से मैली पड़ी है। इसमें विषय विकार और वासना के दाग लगे हुए हैं। अंगिया को धोने के अभाव में प्रियतम कैसे रीझेंगे ? वो तुमको नाराज होकर सेज से नीचे फेंक देंगे। दुल्हन तुम तमाम दुविधा की गांठों को खोल दो और मन के मेल को दूर कर दो। तुम थोड़ा विचार करो, आयु के तीन भाग बीत चुके हैं, पूर्ण हो चुके हैं और गौने का समय भी समीप आ गया है। प्रियतम दरवाज़े पर खड़ा है। अब क्यों उदास हो रही हो ?  दुल्हिन, अपने मन की आँख में ज्ञान का काजल लगाकर आ जाओ। 


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