
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
आत्मा दुल्हन की तरह से है, जीवात्मा से सम्बोधन है की तुमने अपनी अंगिया क्यों नहीं धोई है ? यह तो बचपन से मैली पड़ी है। इसमें विषय विकार और वासना के दाग लगे हुए हैं। अंगिया को धोने के अभाव में प्रियतम कैसे रीझेंगे ? वो तुमको नाराज होकर सेज से नीचे फेंक देंगे। दुल्हन तुम तमाम दुविधा की गांठों को खोल दो और मन के मेल को दूर कर दो। तुम थोड़ा विचार करो, आयु के तीन भाग बीत चुके हैं, पूर्ण हो चुके हैं और गौने का समय भी समीप आ गया है। प्रियतम दरवाज़े पर खड़ा है। अब क्यों उदास हो रही हो ? दुल्हिन, अपने मन की आँख में ज्ञान का काजल लगाकर आ जाओ।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |