कबीर राम ध्याइ लै हिंदी मीनिंग
कबीर राम ध्याइ लै, जिभ्या सौं करि मंत।
हरि साग जिनि बीसरै, छीलर देखि अनंत।
Kabir Raam Dhyai Le, jibhya Sou Kari Mant,
Hari Saag Jini Bisare, Chhilar Dekhi Anant.
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word meaning
ध्याइ लै-सुमिरण कर ले,
जिभ्या-जिव्हा,
सौं करि - से करना।
मंत-मन्त्र।
हरि साग -हरि का साथ।
जिनि बीसरै-जो विस्मृत कर देते हैं।
छीलर-छिछला हुआ, उथला हुआ, छोटा तालाब, पानी का स्त्रोत।
संसार में अनेक प्रकार के छिछले तालाब हैं जो प्रलोभन की भाँती से हैं लेकिन ईश्वर का नाम सुमिरण तो विशाल समुद्र की भाँती है। हरी के नाम का सुमिरण ही सनातन और सम्पूर्ण है, अतः हमें अन्य सांसारिक कार्य, मायाजनित व्यवहार को छोड़कर मात्र ईश्वर के ही नाम का सुमिरण करना चाहिए। हरी नाम सुमिरण को छोड़कर अन्य माध्यम पोखर के समान हैं। उल्लेखनीय है की कबीर साहेब हरी नाम को आधार नहीं मान कर अन्य मार्ग का अनुसरण करने वालों को आगाह भी कर करे हैं की अन्य समस्त माध्यम तुच्छ हैं, जो अनेक हैं। कबीर साहेब ने अनेक पंथ, मजहब और धार्मिक विचारधाराओं का गहराई से अध्ययन किया। और सभी का सार दिया की पवित्र हृदय से ईश्वर के नाम का सुमिरण अधिक महत्त्व रखता है। किसी तीर्थ, पूजा पाठ के स्थान पर मानवीय गुणों को धारण करके, जीव को जीव समझ कर, हृदय की पवित्रता पर अधिक बल दिया। आप स्वंय विश्लेषण कीजिये की क्या एक ऐसा व्यक्ति धार्मिक हो सकता है जो नियमित रूप से पूजा पाठ करे लेकिन दूसरों के प्रति क्रूर हो, स्वार्थजन्य व्यवहार करता हो, धन प्राप्ति के लिए किसी का भी बुरा करने पर आतुर हो, स्पष्ट है नहीं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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