कृष्ण को हृषिकेश क्यों कहते हैं Krishna Ko Hrishikesh Kyo Kaha Jaata Hai

श्रीकृष्ण को हृषिकेश क्यों कहते हैं Krishna Ko Hrishikesh Kyo Kaha Jaata Hai

समस्त इन्द्रियाँ कृष्ण के वश में हैं, कृष्ण ने सभी इन्द्रियों को वश में कर रखा है इसलिए श्री कृष को 'हृषिकेश कहा' जाता है।

कृष्ण को हृषिकेश क्यों कहते हैं Krishna Ko Hrishikesh Kyo Kaha Jaata Hai

हृषीकाणामीन्द्रियाणामीशः हृषिकेशः (Hrishikesh or Hrishikesha, One Who Keeps Sensens in Control.) 
 
हृषिकेश शब्द का अर्थ (Hrishikesha Meaning )
हृषिकेश शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। हृषीक=इन्द्रियाँ + ईश=ईश्वर= हृषिकेश। अर्थात जो इन्द्रियों के स्वामी हैं/ईश्वर हैं (श्री कृष्णा ).

दूसरे अर्थों में हृषिकेश शब्द का अर्थ Hrishikesh (हृषीकेश): Hrishi (हृषी=आनंद ) + Kesh (केश=बाल) के रूप में भी लिया जाता है जिसका अर्थ है जिसके सीधे बाल हों, संभावित रूप से हम कह सकते हैं की जो अत्यंत आनंद में है और इस कारण उसके बाल सीधे हो गए हों। यद्यपि अनेकों स्थान पर कृष्ण जी के बालों के विषय में पृथक वर्णन मिलता है। लेकिन हृषिकेश को सामान्य अर्थों में श्री कृष्ण के नाम के रूप में ही लिया जाता है।

श्री कृष्ण के अन्य प्रचलित नाम और उनके अर्थ :-
कृष्ण : सभी को आकर्षित करने वाला। कृष्ण शब्द का अर्थ है 'कृष्' का अर्थ है- 'कर्मों का निर्मूलन', 'ण' का अर्थ है- 'दास्यभाव' और 'अकार' प्राप्ति का प्रतीक है। श्री कृष्ण ही कर्मों का समूल नाश करके भक्ति को प्राप्त करवाते हैं इसलिए वे कृष्ण कहलाते हैं। (Shri Krishna, who destroys karma and makes disciple attain devotion, that is why Shri Krishna is called Krishna.)

गिरिधर: पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाने वाले, श्री कृष्ण। गिरिधर शब्द का अर्थ है -गिरी=पर्वत/पहाड़ और धर:-धारण करने वाला/उठाने वाला। श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठा लिया था इसलिए उन्हें गिरिधर कहा जाता है। (Sri Krishna lifted the Govardhan mountain on his finger and hence he is called Giridhar.)

मुरलीधर: मुरली (बांसुरी ) को अपने होठों पर धारण करने वाले। श्री कृष्ण अपने साथ मोर पंख और बाँसुरी रखते हैं। (The wearer of the Murali (flute) on his lips. Shri Krishna carries peacock feathers and flutes. )

पीताम्बर धारी: जो पीले वर्ण (रंग) के वस्त्र धारण करता है, श्री कृष्ण । (One who wears yellow varna (colored) clothes, Shri Krishna)

मधुसूदन: मधु नामक दैत्य का वध करने वाला। श्री कृष्ण ने मधु नाम के एक दैत्य को समाप्त किया था, इसलिए उन्हें मधु सूदन कहा जाता है। मधुसूदन दो शब्दों से मिलकर बना है। मधु का अर्थ है 'मधु' नाम का दैत्य और सूदन का अर्थ है संहार करना। अर्थात जिसने मधु नाम के दैत्य का वध किया था।

देवकी नंदन: देवकी माता के पुत्र होने के कारण श्री कृष्ण को देवकी नंदन कहा जाता है।
गोपाल: गायों की रक्षा करने के कारण श्री कृष्ण को गोपाल कहा जाता है।
गोविन्द: गायों का परम रक्षक। श्री कृष्ण को गोविन्द की उपाधि इंद्र के द्वारा दी गई थी।
श्रीनाथ : लक्ष्मी व आनंद देंने वाला, श्री कृष्ण विष्णु जी के अवतार हैं इसलिए इनको श्री नाथ कहा जाता है।
कुञ्ज बिहारी: लताओं और पुष्पों से घिरी गलियों में विचरण करने के कारण श्री कृष्ण को कुञ्ज बिहारी कहा जाता है।
चक्रधारी: श्री कृष्ण सुदर्शन चक्र धारी हैं।
माधव: माया के पति (श्री विष्णु जी के अवतार के रूप में )।
मुरारी: मुर/मुरा नाम के दैत्य का वध करने के कारण श्री कृष्ण को मुरारी कहा जाता है (मुर+अरि शत्रु- मुर का शत्रु=मुरारी)
असुरारी: असुरों के शत्रु।
बनवारी: वन और जंगलों में विहार (विचरण ) करने के कारण श्री कृष्ण को बनवारी कहा जाता है।
 

श्रीकृष्ण को हृषिकेश क्यों कहते हैं Krishna Ko Hrishikesh Kyo Kaha Jaata Hai

ऋषिकेश : ऋषिकेश एक प्रमुख धार्मिक स्थल का भी नाम है जो उत्तराखंड के देहरादून में स्थित है। ऋषिकेश गढ़वाल हिमालय पर्वत की तलहटी में समुन्द्रतल से 409 मीटर की ऊँचाई पर स्थापित है। ऋषिकेश एक प्रशिद्ध संत 'रिहानी ऋषि' का निवास स्थान था। ऋषि की कठोर तपस्या (गंगा नदी के किनारे) से रीझ कर भगवान विष्णु जी प्रकट हुए थे जिस कारण से इस स्थान को 'ऋषिकेश' के नाम से प्रशिद्धि मिली। ऋषिकेश को हिमालय का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है इसके अतरिक्त अनेकों देवताओं के यहाँ वास करने के कारण इसे 'देवभूमि' भी कहा जाता है। मान्यता है की यहाँ ध्यान लगाने पर मोक्ष की प्राप्ति सम्भव है।

ऋषिकेश स्थान के विषय में अनेकों उदाहरण मिलते हैं यथा माना जाता है की समुद्र मंथन के उपरान्त भगवान् शिव ने इसी स्थान पर विष का पान किया था और वे 'नीलकंठ' कहलाए। भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान यहाँ भी वक़्त गुजारा था और इसके प्रमाण के रूप में लक्ष्मण झूला प्रसिद्द है। ऋषिकेश में अनेकों देव स्थान हैं यथा, त्रिवेणी धाम, स्वर्ग आश्रम, नीलकंठ महादेव मंदिर, भरत मंदिर, कैलाश निकेतन मंदिर, वशिष्ठ गुफा आदि।


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