पंच सँगी पिव पिव करै हिंदी मीनिंग

पंच सँगी पिव पिव करै हिंदी मीनिंग

पंच सँगी पिव पिव करै, छठा जू सुमिरे मन।
आई सूति कबीर की, पाया राम रतन

Panch Sangee Piv Piv Karai, Chhata Joo Sumire Man.
Mera Man Sumirai Raam Ka, Mera Man Raamahin Aahi.
 
पंच सँगी पिव पिव करै, छठा जू सुमिरे मन। आई सूति कबीर की, पाया राम रतन

कबीर दोहा शब्दार्थ

पंच सँगी -पाँचों इन्द्रियां। (आँख, कान, नाक, जीभ और त्वचा )
पिव पिव -प्रिय/राम नाम पुकारना (जैसे चातक पक्षी पीव पीव करता है )
छठा -छठवां।
जू -जैसे।
सुमिरे -सुमिरण करना।
मन -चित्त/हृदय।
सूति -स्मृति।
पाया राम रतन -राम रूपी रतन को प्राप्त करना। 

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

जीवात्मा पहले राम के नाम को भूल चुकी थी। गुरु की कृपा से जीवात्मा को अब पूर्ण परम तत्व (पूर्ण ब्रह्म) का बोध हो गया है। परमात्मा का बोध हो जाने के उपरान्त अब जीवात्मा ने पीव पीव (राम नाम ) के नाम की रटन लगा राखी है। पाँचों इन्द्रियों के अतिरिक्त छठा मन भी हरी सुमिरण में लगा है। 
 
गुरु की कृपा के फलस्वरूप साधक को राम नाम की सुध आई है और उसे राम नाम रूपी रतन प्राप्त हो गया है। पाँचों इन्द्रीओं से भाव है की जीवात्मा पूर्ण रूप से राम मय हो गई है। भक्ति की यह अवस्था चैतन्य रूप (समाधि) में है जहाँ अन्य किसी विषय का कोई बोध नहीं रहता है। सूती से आशय ध्यान की चरम अवस्था से है। 

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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