अंतर गति अनि अनि बाँणी हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

अंतर गति अनि अनि बाँणी हिंदी मीनिंग Antar Gati Ani Ani Baani Hindi Meaning Kabir Ke Pad

 
अंतर गति अनि अनि बाँणी हिंदी मीनिंग Antar Gati Ani Ani Baani Hindi Meaning Kabir Ke Pad

अंतर गति अनि अनि बाँणी।
गगन गुपत मधुकर मधु पीवत सुगति सेस सिव जाँणीं॥टेक॥
त्रिगुण त्रिविध तलपत तिमरातन तंती तत मिलानीं।
भाग भरम भाइन भए भारी बिधि बिरचि सुषि जाँणीं॥
बरन पवन अबरन बिधि पावक अनल अमर मरै पाँणीं।
रबि ससि सुभग रहे भरि सब घटि सबद सुनि तिथि माँही॥
संकट सकति सकल सुख खोये उदित मथित सब हारे।
कहैं कबीर अगम पुर पाटण प्रगटि पुरातन जारे॥


हिंदी मीनिंग /भावार्थ Hindi Meaning of Kabir Pad

कबीर साहेब की वाणी है की आंतरिक स्थिति और बाह्य स्थिति वृति से भिन्न है। शून्य (गुपत) की स्थिति में मधु का सेवन जीव करता है और इस अवस्था का ज्ञान मात्र शेष और शिव को ही होता है। जब यह देह (तंत्री) ईश्वर में मिलती है (तत ) तब सत रज और तम (त्रिगुण) और अन्धकार से व्याप्त तीन तरह के ताप (दैहिक, दैविक और भौतिक ) तड़पने लगे हैं।अज्ञान की अवस्था में जीवात्मा तीनों तरह के संताप से ग्रस्त रहती है। 

बाह्य वृति का आंतरिक चेतना की अवस्था से मेल हो जाने पर भरम दूर हट जाता है और मस्तक (भोंहे) ईश्वरीय ज्ञान से भारी हो जाती हैं और ब्रह्म सुख प्राप्त किया है।
परम तत्व से मिल जाने पर शूक्ष्म तत्व अधिक सूक्ष्म हो गए हैं और अपना अस्तित्व खोकर निराकार में लीन हो गए हैं। पृथ्वी तत्व हवा के साथ मिलकर अवर्ण विधि का हो गया है। पावक और वायु आकाश जैसे हो गए हैं। ऐसी में पंचतत्व का भाग पानी मर ही गया है।

सूर्य और चन्द्रमा (इंगला और पिंगला ) सभी के हृदय में प्रकाशित हो रहे हैं।ऐसी में शून्य की स्थिति में रह गया है।
देवों ने संकट में सभी सुखों को खो दिया। समुद्र मंथन करने पर भी वे हार गए लेकिन अमृत को प्राप्त नहीं कर पाए।कबीर साहेब की वाणी है की सुखधाम (अगम पुर ) की प्राप्ति हो जाने पर समस्त पाप जल गए हैं।

(अज्ञान की अवस्था तक आत्मा तीन अवस्थाओं से ग्रस्त रहती है, आत्मा त्रिगुण से घिरी रहती है। लेकिन इन तीन अवस्थाओं में पड़े रहकर सर्वोच्च को प्राप्त नहीं किया जा सकता है। अज्ञान की अवस्था तक आत्मा तीन अवस्थाओं से ग्रस्त रहती है, आत्मा त्रिगुण से घिरी रहती है। लेकिन इन तीन अवस्थाओं में पड़े रहकर सर्वोच्च तक नहीं पहुंचा जा सकता है। त्रिगुण में व्याप्त व्यक्ति सर्वोच्च शक्ति से एकाकार नहीं हो पाता है। वस्तुतः जो परम स्थिति है वह त्रिगुण से परे की वस्तु है। भरम दूर हो गया है और सुख प्राप्त हुआ है।पांच तत्व पुनः उसी परम तत्व में मिल गए हैं। कबीर साहेब की वाणी है की अगम पुर, आनंद धाम गमन पर पुराने सभी बुरे कर्म जल गए हैं। )

अंतर गति अनि अनि बाँणी।
antar gati ani ani baannee|

चेतना की स्थिति /अवस्था बाह्य अवस्था से भिन्न होती है। अंतर गति=internal state, अनि=अन्य,another, different बाँणी=वर्ण,वणिका, different type बाह्य आवरण के विरुद्ध आंतरिक मन की अवस्था अलग है, भिन्न है। Kabir says that internal state is different then what’s outside.

गगन गुपत मधुकर मधु पीवत,
सुगति सेस सिव जाँणीं॥
gagan gupat madhukar madhu peevat ,
sugati ses siv jaanneen||

चैतन्य जीव ही मधु का सेवन कर पाता है। शून्य (गुपत) की स्थिति में मधु का सेवन जीव करता है और इस अवस्था का ज्ञान मात्र शेष और शिव को ही होता है।गगन=sky, means शुन्य लोक, ब्रह्मरन्ध्र, Brahma-Randhra गुपत=चैतन्य,consciousness मधुकर= आत्मा, soul मधु पीवत=drinks honey, is in bliss सुगति=bliss सेस=शेष,snake of shiv, सिव=shiv जाँणीं=knows Consciousness is in bliss in emptiness, such state is known to Shiv and his snake

त्रिगुण त्रिविध तलपत तिमरातन,
तंती तत मिलानीं।
tar gun tar vidh talapat ti maraatan ,
tantee tat milaaneen|


अज्ञान की अवस्था तक आत्मा तीन अवस्थाओं से ग्रस्त रहती है, आत्मा त्रिगुण से घिरी रहती है। लेकिन इन तीन अवस्थाओं में पड़े रहकर सर्वोच्च तक नहीं पहुंचा जा सकता है। त्रिगुण में व्याप्त व्यक्ति सर्वोच्च शक्ति से एकाकार नहीं हो पाता है। त्रिगुण= त्रिगुणात्मक,-सत(Purity and knowledge), रज (Action and passion) और तम (Ignorance and inertia), processing the three qualities त्रिविध=in three different ways तलपत=तड़पना, agonize तिमरातन=body of ignorant person तंती=तंत्री, body, तत=तंत्र, परम तत्व, absolute or supreme reality मिलानीं=merge,combine Till the time one is ignorant, he suffers from three states (purity, passion and inertia) and in three different ways and can’t reach supreme. सृष्टि की रचना मूल त्रिगुणों से हुई है, सत्त्व, रज एवं तम । आधुनिक विज्ञान इससे अनभिज्ञ है । ये तीनों घटक सजीव-निर्जीव, स्थूल-सूक्ष्म वस्तुओं में विद्यमान होते हैं । किसी भी वस्तु से प्रक्षेपित स्पंदन उसके सूक्ष्म मूल सत्त्व, रज एवं तम घटकों के अनुपात पर निर्भर होते हैं । इससे प्रत्येक वस्तु का व्यवहार भी प्रभावित होता है । मनुष्य में इनका अनुपात केवल साधना से ही परिवर्तित किया जा सकता है ।

भाग भरम भोइन भए भारी,
बिधि बिरचि सुषि जाँणीं॥
bhaag bharam bhain bhe bhaaree ,
bidhi biraci sushi jaanneen||


भ्रम दूर हो गया है। और ईश्वरीय ज्ञान से भोंहे भारी हो गई हैं। भाग=goes off, भरम=भ्रम,delusion भोइन= भौहें,eyebrows भए=becomes, भारी=heavy भोइन भए भारी= possibly signifies stress in forehead is released through knowledge बिधि=विधि,method सुषि=hole जाँणीं=knows
Doubts and delusion have vanished

बरन पवन अबरन बिधि पावक,
अनल अमर मरै पाँणीं।
baran pavan abaran bidhi paavak ,
anal amar marai paanneen|


पांच तत्व सर्वोच्च शक्ति में मिल गए हैं और शेष कुछ नहीं रहा है। बरन=वर्ण,earth,differentiation पवन=air, अबरन= अवर्ण,non-differentiated बिधि= विधि,method पावक=पवित्र करनेवाला,pure ? अनल=अम्बर,sky or fire? मरै=dies पाँणीं=human being,water
Five elements Earth, Water, Fire, Air and Space merge into supreme and body is no more

रबि ससि सुभग रहे भरि सब घटि,
सबद सुनि तिथि माँही॥
rabi sasi subhag rahe bhari sab ghati ,
sabad suni tithi maanhee||


सूर्य और चन्द्रमा सभी घट में देदीप्यमान हैं और शब्द शून्य हो गया है।
रबि=sun ससि=moon सुभग=सुन्दर,beautiful भरि=filled घटि=signifies body सबद=शब्द सुनि=listen तिथि=सि्थति,positioned माँही= मानी
Sun and Moon nadi(ida pingala) are shining(or opened up) in this whole body, unstruck sound has established in emptiness

संकट सकति सकल सुख खोये,
उदि त मथि त सब हारे।
sankat sakati sakal sukh khoye ,
udi ta mathi ta sab hare|


संकट में वे सभी सुखों को खो देते हैं और समुद्र मंथन में वे हार गए फिर भी उन्हें अमृत नहीं मिला। In crisis they lost all the happiness and they were defeated while churning of the ocean still couldn’t get the nectar.

कहै कबीर अगम पुर पाटण,
पगटि पुरातन जारे॥
kahai kabeer agam pur paatan ,
pagati puraatan jaare

कबीर साहेब की वाणी है की अगम पुर, आनंद धाम गमन पर पुराने सभी बुरे कर्म जल गए हैं।
अगम पुर= आनंद धाम पाटण, पगटि= प्रकट,appearing पुरातन=past,ancient जारे= जल गए,burned,finished
Says Kabir, by going to anand dham, his past sins or karma have been eradicated.

अंतर गति अनि अनि बाँणी हिंदी मीनिंग Antar Gati Ani Ani Baani Lyrics Kabir Ke Pad

Antar Gati Ani Ani Baannee.
Gagan Gupat Madhukar Madhu Peevat Sugati Ses Siv Jaanneen.tek.
Trigun Trividh Talapat Timaraatan Tantee Tat Milaaneen.
Bhaag Bharam Bhain Bhe Bhaaree Bidhi Birachi Sushi Jaanneen.
Baran Pavan Abaran Bidhi Paavak Anal Amar Marai Paanneen.
Rabi Sasi Subhag Rahe Bhari Sab Ghati Sabad Suni Tithi Maanhee.
Sankat Sakati Sakal Sukh Khoye Udit Mathit Sab Haare.
Kahain Kabeer Agam Pur Paatan Pragati Puraatan Jaare. 

antar gati ani ani baannee - Madhup mudgal - Kabir Bhajan

कबीर साहब की वाणी में गहराई से छिपा एक अद्भुत संदेश है, जो हमें यह सिखाता है कि आत्मा की शुद्धता और सच्चाई की खोज कितनी महत्वपूर्ण है। जब कबीर कहते हैं, "कहै कबीर अगम पुर पाटण, पगटि पुरातन जारे," तो उनका तात्पर्य है कि जब हम आनंद धाम की ओर प्रस्थान करते हैं, तब हमारे पिछले सभी बुरे कर्म जलकर समाप्त हो जाते हैं। यह संकेत करता है कि सच्ची भक्ति और समर्पण से व्यक्ति अपने अतीत के पापों से मुक्त हो सकता है। कबीर की यह बात हमें यह प्रेरणा देती है कि अगर हम सच्चे मन से ईश्वर की ओर अग्रसर होते हैं, तो न केवल हम अपने बुरे कर्मों से मुक्त हो सकते हैं, बल्कि एक नई, शुद्ध और सुखदायी जीवन की शुरुआत भी कर सकते हैं। इस तरह, कबीर की शिक्षाएं हमारे जीवन को सही दिशा में ले जाने का मार्ग दिखाती हैं।


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