चिंता (च्य्ंता) तौ हरि नाँव की हिंदी मीनिंग कबीर के दोहे

च्य्ंता तौ हरि नाँव की हिंदी मीनिंग Chinta To Hari Naanv Ki Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit

च्य्ंता तौ हरि नाँव की, और न चिंता दास।
जे कछु चितवैं राम बिन, सोइ काल कौ पास॥

Chinta To Hari Naanv Ki, Aur Na Chinta Daas.
Je Kachhu chitaven Raam Bin, Soi Kaal Ka Paas.
 
च्य्ंता तौ हरि नाँव की, और न चिंता दास। जे कछु चितवैं राम बिन, सोइ काल कौ पास॥

कबीर दोहा शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha.

च्य्ंता -चिंता।
हरि- ईश्वर।
नाँव की - नाम की।
और न - हरी को छोड़कर अन्य कोई भी विषय।
दास- भक्त/जन
जे कछु - जो कुछ भी।
चितवैं - चिंता करता है।
राम बिन- राम के अतिरिक्त।
सोइ - वही।
काल कौ -काल का।
पास-फंदा/जाल।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

हरिदास की एकमात्र चिंता (ध्यान) हरी के नाम के सुमिरण की रहती है। हरी नाम के अतिरिक्त उसे किसी भी कार्य की चिंता नहीं रहती है। राम नाम के अतिरिक्त जो भी व्यक्ति विषय विकारों और मायाजनित कार्यों की चिंता करता है, मनन करता है वह निश्चित ही काल का भागी बनता है। 

उल्लेखनीय है की कबीर साहेब ने राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए स्पष्ट किया है की राम नाम की महिमा अनंत और अवर्णनीय है। हरी भक्त को रात और दिन राम के नाम की चिंता लगी रहती है। जो कोई भी राम नाम के अतिरिक्त अन्य कार्यों में लिप्त रहता है वह काल के जाल (पास) में फंसकर अंत को प्राप्त होता है। कर्मकांड, तीर्थ, लोकाचार, आदि सभी को साहेब ने पाखंड और आडंबर बताया है। 

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