श्री कृष्ण अर्जुन को पार्थ क्यों कहते थे ?
अर्जुन को श्री कृष्ण "पार्थ" कहकर सम्बोधित करते थे। इसका कारण है की अर्जुन की माता का नाम कुंती था जिनका एक उपनाम "पृथा" था जिसके कारण ही अर्जुन को "पार्थ" (पृथा का पुत्र पार्थ ) कहा जाता था। पार्थ का शाब्दिक अर्थ है "पृथा का पुत्र"।
ऐसे कई अन्य उदाहरण भी जहां पर हम हम देखते हैं की किसी नाम विशेष से पुकारे जाने पीछे उनके कर्म/विशेषताएं और माता पिता के नाम कारण होते हैं।
- श्री कृष्ण जी गायों के पालक थे इसलिए उनको गोपाल के नाम से पुकारा जाता था।
- श्री कृष्ण जी गायों की विशेष रूप से देखभाल करते थे इसलिए इंद्रा भगवान ने उनको "गोविन्द" नाम दिया।
- श्री कृष्ण समस्त संताप/दुःख दूर करने वाले हैं इसलिए उनको हरि कहा जाता है।
- मुरा नाम के राक्षश के संघार के उपरान्त श्री कृष्ण को "मुरारी " कहा जाने लगा।
- दानव केशी का अंत करने के कारण श्री कृष्ण को केशव कहा जाने लगा।
अर्जुन के अन्य नाम अर्जुन को पार्थ क्यों कहते थे ? Why Arjuna Called Parth ?
- जिष्णु
- श्वेतवाहन
- सव्यसच्चि
- फाल्गुन
- कीर्ति
- गंदीवधारी
- धनञ्जय
- विजया
- विभत्सु
Why Shri Krishna called Arjuna Partha? Shri Krishna used to address Arjuna as "Partha". The reason for this is that Arjuna's mother's name was "Pratha" (kunti), due to which Arjun was called "Parth" (Parth, son of Pratha).
पार्थ का शाब्दिक अर्थ Parth Meaning in Hindi : राजा, उज्ज्वलता लिए हुए, अर्जुन, पृथ्वी का राजा, राज कुमार।
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्रास्तेऽपि यान्ति परां गतिम्।।9.32।।
हे पार्थ ! स्त्री, वैश्य और शूद्र जो कोई पाप योनि वाले हों, वे भी मुझ पर आश्रित (मेरे शरण) होकर परम गति को प्राप्त होते हैं।।
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