हंसि हंसि कंत न पाइए हिंदी मीनिंग
हंसि हंसि कंत न पाइए, जिनि पाया तिनि रोइ।
जो हाँसेही हरि मिलै, तो नहीं दुहागनि कोइ॥
Hasi Hasi Kant Na Paaiye, Jini Paya Tini Roi,
Jo Hasehi Hari Mile, To Nahi Dugagni Koi.
कबीर दोहा हिंदी शब्दार्थ Kabir Doha Hindi Word Meaning.
हंसि हंसि-हँस कर के, ख़ुशी ख़ुशी।
कंत न पाइए-प्रिय की प्राप्ति सम्भव नहीं है।
जिनि पाया-जिन्होंने पाया है।
तिनि रोइ-वे रोये हैं.
जो हाँसेही-जो हंसने से.
हरि मिलै-ईश्वर की प्राप्ति होती हो।
तो नहीं-तो कोई भी।
दुहागनि-दुर्भाग्यशाली नहीं रहे।
यदि हंसकर, और उल्लास के साथ बिना इश्वर/विरह की अग्नि में जले ही इश्वर की प्राप्ति हो जाए तो, दुर्भाग्यशाली कौन रहे. जिन व्यक्तियों ने इश्वर को पाया है, उन सभी ने विरह को भोगा है और सांसारिकता को छोड़ा है. तभी जाकर इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं होती है.
इश्वर की प्राप्ति के लिए लौकिक आन्दनुभूती का त्याग आवश्यक रूप से करना होता है. माया मद, काम और क्रोध का त्याग करने पर ही हरी की भक्ति प्राप्त होती है. प्रस्तुत साखी में अनुप्रास और पुराक्तिप्रकाश अलंकार की व्यंजना हुई है. इस साखी में दूसरा सन्देश है की जो जीवात्मा इश्वर से दूर है वह दुहागिन है. जिसने हरी से प्रीत को जोड़ा है वह सुहागिन है, इसलिए हरी भक्ति से ही जीवात्मा भव सागर से मुक्त हो पाती है.
आइये कुछ शब्दों के विषय में अधिक जानते हैं -
कंत (Kant) : कंत शब्द का अर्थ होता है महबूब, प्रिय, प्यारा, मालिक या आक़ा , (मजाज़न). इसे शौहर के रूप में भी कार्य में लिया जाता है (کَنْت) जीवात्मा का मालिक पूर्ण परम ब्रह्म होता है इसलिए यहाँ पर कंत शब्द का अर्थ स्वामी से लिया गया है।
हरि : हरि संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ श्री विष्णु जी से लिया जाता है लेकिन हरि का सामान्य अर्थ भगवान, मालिक (स्वामी) से भी लिया जाता है।जीवात्मा का हरि पूर्ण परम ब्रह्म है।
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