जिहि सर मारी काल्हि मीनिंग कबीर के दोहे

जिहि सर मारी काल्हि मीनिंग Jihi Sar Mari Kalhi Hindi Meaning Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit.

जिहि सर मारी काल्हि सो सर मेरे मन बस्या।
तिहि सरि अजहूँ मारि, सर बिन सच पाऊँ नहीं॥

Jihi Sar Maari Kalhi So Sar Mere Man Basya,
Tihi Sari Ajahu Maari, Sar Bin Sach Paau Nahi.
 
जिहि सर मारी काल्हि मीनिंग Jihi Sar Mari Kalhi Hindi Meaning Kabir Ke Dohe
 

कबीर दोहे के शब्दार्थ Kabir Doha Word meanin Hindi.

जिहि - जिस।
सर -तीर।
मारी - मारा।
काल्हि -कल।
सो सर -वह तीर, शर-तीर।
मेरे मन - मेरे मन।
बस्या- बस गया है, प्रिय बन चुका है।
तिहि सरि - वह बाण।
अजहूँ- पुनः, आज फिर से।
सच/सचु- सत्य को प्राप्त नहीं हो पाता हूँ।

कबीर दोहा हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

हे गुरुवर जो ज्ञान का बाण आपने मुझे कल मारा था वह मेरे हृदय में बस चुका है। उसी बाण से आज पुनः मुझे घायल कीजिये क्योंकि ज्ञान के बाण के बगैर मुझे सत्य का बोध नहीं होता है। साधक विरह की अग्नि में तड़प रहा है, उसे गुरु के ज्ञान के बाण से सुख (सच) की प्राप्ति हुई है और वह पुनः उसी सुख को प्राप्त करना चाहता है. साधक जिस शर/तीर से घायल हुआ था उसी से पुनः घायल होना चाहता है. प्रस्तुत साखी में विरह की मार्मिक पीड़ा का चित्रण प्राप्त होता है. 

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