साचा साहिब साच नाव मीनिंग Sacha Sahib Saach Hindi Meaning Pauri 4 Sri Japji Sahib

साचा साहिब साच नाव मीनिंग Sacha Sahib Saach Hindi Meaning Pauri 4

साचा साहिबु सच नाव भाखिआ भाव अपार,
Sacha Sahib Saach Naai Bhakhiya Bhaav Apaar.
ਸਾਚਾ ਸਾਹਿਬੁ ਸਾਚੁ ਨਾਇ ਭਾਖਿਆ ਭਾਉ ਅਪਾਰੁ,
हिंदी मीनिंग :
साहेब (ईश्वर) सत्य है और सत्य ही उसका नाम है। अपार भाव, श्रद्धा भाव से उसके नाम का सुमिरण करो।

आखहि मंगहि देह देह दात करे दातार,
Akhah Mangah Deh Deh Daat Kare Daatar,
ਆਖਹਿ ਮੰਗਹਿ ਦੇਹਿ ਦੇਹਿ ਦਾਤਿ ਕਰੇ ਦਾਤਾਰੁ.
हिंदी मीनिंग :
समस्त जीव जंतु, प्राणी, देव आदि सभी उसी से मांगते रहते हैं। सब उसे दे दे नाम बोलकर और देने के लिए कहते हैं। वह दाता सभी को देता रहता है।

फेरि कि अगै रखीऐ जितु दिसै दरबार.
Pheri Ki Agge Rakhiye, Jit Dise Darbaar.
ਫੇਰਿ ਕਿ ਅਗੈ ਰਖੀਐ ਜਿਤੁ ਦਿਸੈ ਦਰਬਾਰੁ.
हिंदी मीनिंग :
ऐसे दाता को जो सभी को देता रहता है उसे हम क्या दे सकते हैं ? यह प्रश्न है। उसके समक्ष क्या रख जाए जो उसकी भेंट के रूप में उचित हो ? ऐसी भेट उसे क्या दें जिससे हमें उसका दरबार दिख जाए।

मुहौ कि बोलणु बोलीऐ जितु सुणि धरे पियार,
Muho Ki Bolan Boliye, Jit Sun Dhare Pyaar.
ਮੁਹੌ ਕਿ ਬੋਲਣੁ ਬੋਲੀਐ ਜਿਤੁ ਸੁਣਿ ਧਰੇ ਪਿਆਰੁ.
हिंदी मीनिंग : 
अपने मुँह से उसकी स्तुति, प्रशंशा में ऐसा क्या बोला जाय जिसको सुनकर वह परमात्मा प्रेम से भर जाए, उसका प्रेम जाग्रत हो जाए। भाव है की ईश्वर के समख जीव / प्राणी अपने मुख से ऐसा क्या गुणगान करे जिससे पूर्ण परमात्मा का प्रेम पाने का वह हकदार बन जाए। दरबार से आशय ईश्वर की करुणा और प्रेम से है।

अमृत वेला सच नाव वडिआई वीचारु,
Amirt Vela Sach Naav, Vadiyaai Vichaar.
ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਵੇਲਾ ਸਚੁ ਨਾਉ ਵਡਿਆਈ ਵੀਚਾਰੁ.
हिंदी मीनिंग :
इस पर गुरु नानक देव जी का कथन है की जीव को अमृत वेला, प्रातः काल, में उस सपूर्ण सत्य परम परमात्मा के नाम का गुणगान करना चाहिए, उसकी महिमा का सुमिरण करना चाहिए। भाव है की प्रातः काल जिसे अमृत वेला भी कहा गया है उस समय जीवात्मा का हृदय सांसारिक उलझनों, विचारों से मुक्त रहता है। ऐसे निर्मल हृदय से ईश्वर की महिमा का गुणगान करके वह ईश्वर की करुणा को प्राप्त कर सकता है।

करमी आवै कपड़ा नदरी मोख दुआरु,
Karam Aave Kapada, Nadari Mokh Dwar.
ਕਰਮੀ ਆਵੈ ਕਪੜਾ ਨਦਰੀ ਮੋਖੁ ਦੁਆਰੁ.
हिंदी मीनिंग :
जीवात्मा के पूर्व के जन्मों में किए गए कर्मों के फल के रूप में उसे विभिन्न प्रकार के जीव का रूप मिलता है। ईश्वर की कृपा से ही वह मोक्ष के द्वार को प्राप्त कर सकता है। भाव है की व्यक्ति को विभिन्न रूपों में कर्मों का फल मिलता है और वह कर्मों के बंधन में जकड़ा रहता है, परिणाम स्वरुप जन्म मरण का चक्र चलता रहता है। भव सागर से पार होने के लिए मोक्ष का द्वार ईश्वर की कृपा से ही सम्भव हो पाता है।

नानक एवै जाणीऐ सभु आपे सचिआरु,
Nanak Aive Jaaniye Sab Aape Sachiaar.
ਨਾਨਕ ਏਵੈ ਜਾਣੀਐ ਸਭੁ ਆਪੇ ਸਚਿਆਰੁ.

हिंदी मीनिंग : नानक देव की का कथन है की ऐसा विवेक और बोध ग्रहण करो की जो स्वंय में परिपूर्ण है वह पूर्ण सत्य और प्रकाशित है। वह स्वंय में स्वयंभू है। भाव है की उसे पहचानों जो स्वंय में सत्य और पूर्ण है। ऐसा जानकार समस्त शंकाओं को दूर किया जा सकता है।

Japji sahib #5 / Pauri 4 / Français / Anglais / Guru Nanak Dev ji / Sikhisme

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