गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स मीनिंग Guru Maneyo Granth Lyrics Meaning

अरदास (Gurmukhi: ਅਰਦਾਸ) एक सिख प्रार्थना है (नीचे पूरी अरदास को देखें  जो कि किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से पहले या करने के बाद किया जाता है; दैनिक बानी (प्रार्थनाएँ) का पाठ करने के बाद; या पाठ (धर्मग्रंथ पाठ / प्रवचन), कीर्तन (भजन-गायन) कार्यक्रम या किसी अन्य धार्मिक कार्य के पूर्ण होने के बाद।  एक दृढ और अखंड विश्वास है कि "सब सिखन को हुकम है, गुरु मानियो ग्रंथ" जो गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा ही उच्चारित किया गया है। कई आधुनिक लेखक भी इस शब्द/लाइन को गुरु जी द्वारा बोला गया दिखाते हैं। इस विश्वास को बनाए रखने का मुख्य कारण सिखों के धार्मिक समागम और अन्य अवसरों में इस शब्द का अरदास में गाया जाना। आइये इस पवित्र शब्द / अरदास का अर्थ जान लेते हैं।

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स मीनिंग Guru Maneyo Granth Lyrics Meaning

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स इन गुरुमुखी Guru Maneyo Granth Lyrics in Punjabi
 
 
गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स मीनिंग Guru Maneyo Granth Lyrics Meaning

ਧੰਨ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਸਾਹਿਬ ਜੀ,
ਆਗਿਆ ਭਈ ਅਕਾਲ ਕੀ ਤਭੀ ਚਲਾਇਓ ਪੰਥ।
ਸਭ ਸਿੱਖਨ ਕੋ ਹੁਕਮ ਹੈ ਗੁਰੂ ਮਾਨਿਓਂ ਗ੍ਰੰਥ।

ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਜੀ ਮਾਨਿਓਂ ਪਰਗਟ ਗੁਰਾਂ ਕੀ ਦੇਹ।
ਜੋ ਪ੍ਰਭ ਕੋ ਮਿਲਬੋ ਚਹੇ ਖੋਜ ਸਬਦ ਮੈਂ ਲੇਹ।

ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ ਆਕੀ ਰਹੇ ਨਾ ਕੋਇ॥
ਖੁਆਰ ਹੋਏ ਸਭ ਮਿਲੇਂਗੇ ਬਚੇ ਸ਼ਰਨ ਜੋ ਹੋਏ॥

ਜਬ ਗੁਰੂ ਪਰਗਟ ਭਏ ਪੂਰਨ ਹਰਿ ਅਵਤਾਰ।
ਜਗਮਗ ਜੋਤ ਬਿਰਾਜਹੀ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੁ ਗ੍ਰੰਥ ਮਝਾਰ।

ਜੋ ਦਰਸਿਯੋ ਚਹਿ ਗੁਰੂ ਕੋ ਸੋ ਦਰਸੈ ਗੁਰੁ ਗ੍ਰੰਥ।
ਪਢੈ ਸੁਨੈ ਸਾਰਥ ਲਹੈ ਪਰਮਾਰਥ ਕੌ ਪੰਥ।

ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਜੀ ਉਭੈ ਜਹਾਜ ਉਦਾਰ।
ਜੋ ਸਰਧਾ ਸੇਵਹੈ ਸੋ ਉਤਰੈ ਭਵ ਪਾਰ।

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स इन हिंदी Guru Maneyo Granth Lyrics in Hindi

आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।

गुरु ग्रंथ जी मानेओ प्रगट गुरां की देह,
जो प्रभ को मिलबो चहे, ख़ोज शबद में लेह,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ,
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।

राज करेगा ख़ालसा, आकी रहे ना कोय,
खुआर होए सब मिलेंगे, बचे शरण जो होय,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ,
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।

जब गुरु प्रगट भए पूर्ण हरि अवतार,
जगमग जोत बिराजही श्री गुरु ग्रंथ मझार,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ,
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।

जो दरसियो चहि गुरु को सो दरसै गुरु ग्रंथ,
पढ़ै सुनै सारथ लहै परमार्थ कौ पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ,
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।

वाहेगुरु गुरु ग्रंथ जी उभै जहाज उदार,
जो सरधा सेवहै सो उतरै भव पार,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ,
आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ,
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ।
 

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) लिरिक्स इन इंग्लिश Guru Maneyo Granth Lyrics in English

Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.

Guru Granth Ji Maaneo Pragat Guraan Ki Deh,
Jo Prabh Ko Milbo Chahe, Khoj Shabad Mein Leh,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth,
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.

Raj Karega Khalsa, Aaki Rahe Na Koi,
Khuar Ho-e Sab Milenge, Bache Sharan Jo Hoy,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth,
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.

Jab Guru Pragat Bhae Poorn Hari Avataar,
Jagmag Jot Biraajahi Shri Guru Granth Majhaar,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth,
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.

Jo Darasiyo Chahe Guru Ko So Darasai Guru Granth,
Padhai Sunai Saarath Lehai Paramarth Kaun Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth,
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.

Vaheguru Guru Granth Ji Ubhai Jahaaj Udaar,
Jo Saradha Sevhai So Utre Bhav Paar,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth,
Aagya Bhai Akaal Ki, Tabe Chalayo Panth,
Sab Sikhon Ko Hukam Hai Guru Maanio Granth.
 

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) मीनिंग इन हिंदी Guru Maneyo Granth Lyrics in Hindi

आज्ञा भई अकाल की, तबे चलायो पंथ : उस अकाल (जो काल / समय, जन्म मरण से परे है, सर्वोच्च है (ईश्वर) की आज्ञा होने पर "सिख" पंथ चलाया गया। आशय है की "अकाल" (जो समय से परे है, सर्वेश्वर की आज्ञा के उपरान्त सिख पंथ की स्थापना हुई, चलाया गया। सिख पंथ दिव्य और अलौकिक है क्योंकि इसे ईश्वर की आज्ञा से स्थापित किया गया है।
सभ सिखन को हुकम है गुरु मानिओ ग्रंथ : सभी को गुरु जी के माध्यम से हुक्म (निर्देश) है की की वे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब को ही अपना गुरु माने। इस अरदास के माध्यम से सभी सिख (सिख धर्म के अनुयाइयों को ) ईश्वर का आदेश है की वे गुरु ग्रंथ साहिब को ईश्वर / गुरु के समकक्ष मानें। आशय है की श्री गुरुग्रंथ साहिब की वाणी/शब्द को अपने जीवन में उतारें और उनका अनुसरण करें।
गुरु ग्रंथ जी मानेओ प्रगट गुरां की देह : गुरु ग्रंथ जी को मैं गुरु की शरीर के रूप मानें । आशय है की गुरुग्रंथ साहेब को ऐसे समझे जैसे की वे साक्षात गुरु ही हैं।
जो प्रभ को मिलबो चहे, ख़ोज शबद में लेह : जो भी ईश्वर की खोज करना चाहे, मिलना चाहे वह गुरु ग्रन्थ साहिब के पवित्र शब्द में खोज सकते हैं। श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में जो शबद दिए गए हैं उनका अनुसरण करके ईश्वर से मिलना सम्भव हो सकता है।
राज करेगा ख़ालसा, आकी रहे ना कोय : खालसा राज करेगा और कोई भी इससे मुक्त नहीं रह पायेगा (सभी ईश्वर की शरण में आएंगे ) कोई भी इसका विरोध में नहीं होगा, यह सर्वमान्य होगा।
खुआर होए सब मिलेंगे, बचे शरण जो होय : जो भी गुम गए हैं (पथ से भटक गए हैं ) वे सब आपस में मिल जाएंगे और जो भी शरणागत हैं बच जाएंगे (जन्म मरण से )
जब गुरु प्रगट भए पूर्ण हरि अवतार : जब गुरु ही पूर्ण ईश्वर के रूप में प्रकट हुए।
जगमग जोत बिराजही श्री गुरु ग्रंथ मझार : चारों तरफ जगमग रौशनी हो गई और गुरु साहिब से ही यह प्रकाश उत्पन्न हुआ है। 
जो दरसियो चहि गुरु को सो दरसै गुरु ग्रंथ : जो श्री गुरु के दर्शन को प्राप्त करना चाहता है, उसे श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के दर्शन करने चाहिए।    
पढ़ै सुनै सारथ लहै परमार्थ कौ पंथ :श्री गुरु ग्रन्थ साहिब को पढ़े, श्रवण करे और इसके मूल तत्व को समझकर ग्रहण करते हुए मुक्ति के मार्ग को प्राप्त कर सकता है।
वाहेगुरु गुरु ग्रंथ जी उभै जहाज उदार  : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब एक विशाल जहाज है जो सांसारिकता/भव सागर से भक्त को पार लगाता है।
जो सरधा सेवहै सो उतरै भव पार : जो सम्पूर्ण भक्ति भाव से इसकी सेवा करता है (अनुसरण) करता है वह भव से पार हो जाता है।

गुरु मानयो ग्रन्थ (सब सिखन को हुकम है) मीनिंग इन इंग्लिश Guru Maneyo Granth Meaning in English

 ਆਗਿਆ ਭਈ ਅਕਾਲ ਕੀ ਤਭੀ ਚਲਾਇਓ ਪੰਥ। With the command of the Timeless One, the Panth was established.

ਸਭ ਸਿੱਖਨ ਕੋ ਹੁਕਮ ਹੈ ਗੁਰੂ ਮਾਨਿਓਂ ਗ੍ਰੰਥ।
All Sikhs are commanded to recognize the Granth as their Guru.

ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਜੀ ਮਾਨਿਓਂ ਪਰਗਟ ਗੁਰਾਂ ਕੀ ਦੇਹ।
The Guru Granth is the embodiment of the manifest Gurus.

ਜੋ ਪ੍ਰਭ ਕੋ ਮਿਲਬੋ ਚਹੇ ਖੋਜ ਸਬਦ ਮੈਂ ਲੇਹ।
Those that seek to meet with Waheguru, delve into the Shabad. Those who seek to unite with the Divine should search within the Shabad.

ਰਾਜ ਕਰੇਗਾ ਖਾਲਸਾ ਆਕੀ ਰਹੇ ਨਾ ਕੋਇ॥
The Khalsa will rule, and none will remain opposed to them. The Khalsa shall rule, and no one shall remain subjugated.

ਖੁਆਰ ਹੋਏ ਸਭ ਮਿਲੇਂਗੇ ਬਚੇ ਸ਼ਰਨ ਜੋ ਹੋਏ॥
After wandering place to place (for spiritual guidance) everybody will unite, and those who fall under the protection of the One God will be saved. Those who take refuge shall be saved, and those who have fallen shall rise again, meet again.

ਜਬ ਗੁਰੂ ਪਰਗਟ ਭਏ ਪੂਰਨ ਹਰਿ ਅਵਤਾਰ।
When the Guru manifested as the perfect incarnation of the Lord.

ਜਗਮਗ ਜੋਤ ਬਿਰਾਜਹੀ ਸ੍ਰੀ ਗੁਰੁ ਗ੍ਰੰਥ ਮਝਾਰ।
The resplendent light of the Lord shines within the Sri Guru Granth Sahib.

ਜੋ ਦਰਸਿਯੋ ਚਹਿ ਗੁਰੂ ਕੋ ਸੋ ਦਰਸੈ ਗੁਰੁ ਗ੍ਰੰਥ।
Those who seek a glimpse of the Guru will find it within the Guru Granth.

ਪਢੈ ਸੁਨੈ ਸਾਰਥ ਲਹੈ ਪਰਮਾਰਥ ਕੌ ਪੰਥ।
Through reading and listening, the path to the Ultimate Truth is revealed.
 
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਗੁਰੂ ਗ੍ਰੰਥ ਜੀ ਉਭੈ ਜਹਾਜ ਉਦਾਰ। The Guru Granth Sahib is like a vast ship, capable of carrying us across the ocean of existence.

ਜੋ ਸਰਧਾ ਸੇਵਹੈ ਸੋ ਉਤਰੈ ਭਵ ਪਾਰ।
Those who serve it with faith and devotion will be able to cross the terrifying world-ocean of life. Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fateh The Pure belong to the Wonderful Lord, victory is the Wonderful Lord's.

Consolidated Meaning of Shabad

"The command came from the Immortal Being to establish the order of the Khalsa; all the Sikhs then accepted the Granth as their Guru.
The Guru Granth is considered the embodiment of the Gurus; whoever seeks to meet God can find the way through its teachings.
The Khalsa shall rule, and its opponents will be no more; those separated will unite, and all the devotees shall be saved.
When the perfect Guru was manifested, the divine light became manifest and the Guru Granth became the boat to cross the worldly ocean.
Those who wish to see the Guru will see the Granth; by reading and listening to it, they will obtain the ultimate goal.
The Guru Granth is like a vast ship which will take the faithful across the worldly ocean; those who have faith and serve it, will be taken to the other side."
The first two lines of this verse establish the authority of the Guru Granth Sahib, stating that the Panth (the Sikh community) was established under the command of the timeless (Akaal) One, and that all Sikhs are commanded to accept the Granth as their Guru.
The third and fourth lines express that the Granth is the physical embodiment of the Gurus, and that those who wish to experience union with the Divine should search for God's message in its words.
The fifth and sixth lines express the Sikh belief in the eventual triumph of the Khalsa, the community of the pure, and the safety and refuge it provides to those who take shelter in it.
The seventh and eighth lines describe the Guru Granth Sahib as a ship that can carry the faithful across the treacherous ocean of life. Those who serve the Granth with devotion and faith will be able to cross the ocean of birth and death and attain salvation.
 


Guru Maneyo Granth | Bhai Joginder Singh Ji Riar (Ludhiana Wale) | Finetouch

 

Word Meaning of This Pious Shabad

  1. ਧੰਨ - Blessed
  2. ਸ੍ਰੀ - Revered
  3. ਗੁਰੂ - Guru, Spiritual Teacher
  4. ਗ੍ਰੰਥ - Book, Scriptures
  5. ਸਾਹਿਬ - Lord, Master
  6. ਜੀ - Respectful Suffix
  7. ਆਗਿਆ - Command, Order
  8. ਭਈ - Happened, Occurred
  9. ਅਕਾਲ - Timeless, Immortal
  10. ਚਲਾਇਓ - Established, Instituted
  11. ਪੰਥ - Path, Way
  12. ਸਭ - All
  13. ਸਿੱਖਨ - Disciples, Students
  14. ਕੋ - One, Everyone
  15. ਹੁਕਮ - Command, Order
  16. ਗੁਰੂ - Guru, Spiritual Teacher
  17. ਮਾਨਿਓਂ - Accept, Believe
  18. ਪਰਗਟ - Manifest, Embodiment
  19. ਗੁਰਾਂ - Gurus, Spiritual Teachers
  20. ਦੇਹ - Body, Form
  21. ਜੋ - Whoever, That
  22. ਪ੍ਰਭ - God, Divine
  23. ਮਿਲਬੋ - Meet, Unite
  24. ਚਹੇ - Desire, Want
  25. ਖੋਜ - Search, Seek
  26. ਸਬਦ - Word, Divine Word
  27. ਮੈਂ - Within, Inside
  28. ਲੇਹ - Take, Seek
  29. ਰਾਜ - Rule, Reign
  30. ਕਰੇਗਾ - Will Rule, Will Reign
  31. ਖਾਲਸਾ - Pure Ones, Sikh Community
  32. ਆਕੀ - Forever, Always
  33. ਰਹੇ - Remain, Stay
  34. ਨਾ - Not
  35. ਕੋਇ - Anyone
  36. ਖੁਆਰ - Defeated, Lost
  37. ਹੋਏ - Become, Happen
  38. ਸਭ - All
  39. ਮਿਲੇਂਗੇ - Will Meet, Will Unite
  40. ਬਚੇ - Survive, Remain
  41. ਸ਼ਰਨ - Refuge, Shelter
  42. ਜੋ - Whoever, That
  43. ਹੋਏ - Happen, Become
  44. ਜਬ - When
  45. ਪਰਗਟ - Manifest, Embodiment
  46. ਭਏ - Happened, Occurred
  47. ਪੂਰਨ - Complete, Perfect
  48. ਹਰਿ - God, Divine
  49. ਅਵਤਾਰ - Incarnation, Manifestation
  50. ਜਗਮਗ - Shining, Radiating
  51. ਜੋਤ - Light, Divine Light
  52. ਬਿਰਾਜਹੀ - Shine, Radiate
  53. ਸ੍ਰੀ - Revered
  54. ਗੁਰੁ - Guru, Spiritual Teacher
  55. ਮਝਾਰ - Channel, Medium
  56. ਦਰਸਿਯੋ - See, Behold
  57. ਚਹਿ - Desire, Want
  58. ਸੋ - That
  59. ਦਰਸੈ - Show, Reveal
  60. ਪਢੈ - Read
  61. ਸੁਨੈ - Listen
  62. ਵਾਹਿਗੁਰੂ (vahiguru) - a Sikh name for God
  63. ਗੁਰੂ (guru) - teacher or spiritual guide
  64. ਗ੍ਰੰਥ (granth) - book or scripture
  65. ਜੀ (ji) - a term of respect
  66. ਉਭੈ (ubhai) - floating or sailing
  67. ਜਹਾਜ (jahaj) - ship
  68. ਉਦਾਰ (udar) - generous or kind
  69. ਸਰਧਾ (sardha) - faith or devotion
  70. ਸੇਵਹੈ (sevhai) - serves or worships
  71. ਉਤਰੈ (utrai) - crosses or overcomes
  72. ਭਵ (bhav) - worldly existence or cycle of birth and death
  73. ਪਾਰ (par) - to the other side or liberation
The Sri Guru Granth Sahib is the sacred religious text and eleventh Guru of the Sikhs. It was compiled and composed between 1469 and 1708 during the times of Sikh Gurus and contains the collected writings of Sikh Gurus and various other saints. The Guru Granth Sahib is an extensive treasury of hymns, poems, and other writings that describe the virtues of God and encourage the remembrance of God's name. The tenth Guru of the Sikhs, Guru Gobind Singh (1666-1708), merged his own divine light with the Adi Granth and named it Guru Granth Sahib. It is considered the most sacred and unique Guru of the Sikhs, serving as a reservoir of Sikh teachings and wisdom imparted by Sikh Gurus and saints. The Adi Granth is a central reference for Sikh worship and devotion, and its contents are used in the Sikh prayer known as the Ardas and serve as a guide for spiritual seekers.
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