रैणा दूर बिछोहिया मीनिंग कबीर के दोहे

रैणा दूर बिछोहिया मीनिंग Raina Door Bichohiya Kabir Ke Dohe

 
 रैणा दूर बिछोहिया, रह रे संषम झूरि।
देवलि देवलि धाहड़ी, देखी ऊगै सूरि॥

Rainaa Door Bichhohiya, Rah Re Sankham Jhuri,
Devali Devali Dhahadi, Dekhi Uge Suri.
 
रैणा दूर बिछोहिया, रह रे संषम झूरि। देवलि देवलि धाहड़ी, देखी ऊगै सूरि॥

कबीर के दोहे के शब्दार्थ kabir Doha Word Meaning:

  • रैणा दूर-रात्री, अज्ञान.
  • बिछोहिया-बिछुड़ जाना, दूर हो जाना।
  • संषम-शंख।
  • झूरि-संतप्त, पीड़ित।
  • देवलि-देवालय, मंदिर।
  • धाहड़ी-चीत्कार करना, व्यथित होना।
  • ऊगै-उदय होना।
  • सूरि- सूर्य, सूरज। 

कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग Kabir Doha Hindi Meaning

शंख रात्रि में अपने प्रिय समुद्र से विमुख हो चूका है और स्थान स्थान पर भटक रहा है और पूरी रात्रि को संतप्त रहता है। लेकिन उसे अपने प्रिय के दर्शन सुबह होने पर ही हो सकते हैं।
जैसे शंक रात्रि में समुद्र से बिछड़ जाता है और पुनः सूर्योदय होने पर ही अपने प्रिय समुद्र को प्राप्त कर सकता है ऐसे ही जीवात्मा अपने स्वामी से विमुख होकर मंदिर मंदिर भटकती रहती है और पुनः ज्ञान की रौशनी में ही अपने मालिक को प्राप्त कर पाने में सक्षम हो पाती है। 

कबीर साहेब ने इस साखी में शंख का उदाहरण देकर अभिव्यक्ति दी है की जीवात्मा अज्ञानता और माया के कारण अपने स्वामी से विमुख हो जाती है और मंदिर मंदिर भटकती रहती है। उसे मंदिर और अन्य स्थानों पर से कुछ भी प्राप्त नहीं होता है और वह संतप्त ही रहती है। जैसे प्रातः काल होने पर उजाला होता है ऐसे ही ज्ञान के प्रकाश की प्राप्ति के बाद ही वह अपने प्रिय से पुनः मिल पाती है। इस साखी में जीवात्मा को शंख की भाँती से बताया गया है। 
 
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