कबीर प्रेम न चाषिया मीनिंग Kabir Prem Na Chakhiya Hindi Meaning

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कबीर प्रेम न चाषिया, चषि न लीया साव।
सूने घर का पाहुणाँ, ज्यूँ आया त्यूँ जाव॥
Kabir Prem Na Chakhiya, Chakhi Na liya Saav,
Sune Ghar Ka Pahuna, Jyu Aaya Tyu Jaav.
 
कबीर के दोहे के शब्दार्थ Word Meaning of Kabir Doha (Couplet)
 
प्रेम-भक्ति रूपी प्रेम रस।
- नहीं।
चाषिया- चखना।
लीया- प्राप्त करना।
साव-स्वाद।
सूने घर का-जिस घर के रखवाले ना हों।
पाहुणाँ-मेहमान।
ज्यूँ आया- जैसे आया।
त्यूँ जाव-वैसे ही चला जाता है। 

कबीर दोहे का हिंदी मीनिंग : जिस व्यक्ति ने भगवत प्रेम (हरी रस) को चखा ही नहीं और उसका स्वाद ही ग्रहण नहीं किया वह तो ऐसे है मानो जैसे सूने घर का अतिथि। सूने घर के अतिथि का आदर सत्कार करने वाला कोई नहीं होता है ऐसे ही वह जीवात्मा अभागी होती है जो ईश्वर के नाम का सुमिरण नहीं करे और हरि सुमिरण से वंचित रह जाए। 
 
इस जगत में आकर जीने ईश्वर के नाम का सुमिरण नहीं किया, हरि रस का पान नहीं किया उसका जीवन व्यर्थ है। जैसे सूने घर में मेहमान आकर चला जाता है। उसका आदर सत्कार करने वाला वहां कोई नहीं  होता है। इसी भाँती हरि नाम से विमुख जीवात्मा जगत में आकर चली जाती है, उसके जीवन का कोई भी महत्त्व नहीं होता है।  इस सखी में दृष्टांत अलंकार की सुन्दर व्यंजना हुई है। 

कबीर साहेब ने अनेकों स्थानों पर मनुष्य के जीवन को अल्पकालीन बताया है और इस जगत को सराय कहा है। जैसे सराय में बहुत ही कम समय के लिए हम रुकते हैं वैसे ही इस जगत में भी हमारा कोई स्थाई ठौर ठिकाना नहीं है। यहाँ आकर यदि ईश्वर के नाम का सुमिरण नहीं किया/भक्ति रूपी रस का पान नहीं किया तो इस जीवन का क्या महत्त्व रहा। यह जीवन निरर्थक ही रहा। जैसे घर में मेहमान के आने पर घर के सदस्यों के द्वारा उसका आदर सत्कार किया जाता है ऐसे ही यदि हरि के का सुमिरण किया जाए तो अवश्य ही उसे भी आदर और सत्कार मिलेगा।
Kabir Doha (Couplet) Hindi Meaning : There is no importance in the life of a person alienated by the name of God. There is no one to honor him in a desolate house.
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