सखी री मैं तो प्रेम दीवानी मीनिंग
आ पिया, इन नैनन में,
तो पलक ढाँप तोहे मैं लूँ,
ना मैं देखूँ गैर को,
ना तोहे देखन दूँ।
ए सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय,
साँवरा, साँवरा,
रे सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय।
मोरे पिया की, ओ साँवरा,
मोरे पिया की सैज सूली पर रे,
मोरे साँवरिया की
मोरे पिया की सैज सूली पर
मिलना किस पल होय,
रे सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय।
वो घायल की गति, घायल जाने,
और जे कोई घायल होय,
सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय।
हीरे की गति, झंवरी जाने,
हीरे की गति, साँवरा,
ओ सांवरिया रे,
हीरे की गति, झंवरी जाने,
जे कोई झंवरी होय,
सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय।
कहे मीरा बाई प्रभु,
गिरधर नागर,
हे जी गिरधर नागर,
मेरी धान हरी से होइ,
सखी री मैं तो प्रेम दीवानी,
मेरा दरद ना जाने कोय।
Sakhi Ri Main To Prem Diwani I Mir Basu Barkat Khan I Meera Bhajan I Rajasthan Kabir Yatra
This upload is part of our informal recording sessions with folk artists. Listen to this soulful Meera song sung by Mir singer Mir Basu Barkat Khan from Pugal village filmed at beautiful Dharnidhar Temple in Bikaner. Listening to this unplugged soulful song will be a treat to your mind and soul.
Singer & Harmonium : Mir Basu Barkat Khan, Pugal Tabla : Naval Shrimali Manjira : Antar Khan Camera: Puneet Jajra Subtitling: Nikita Tiwari
सखी री मैं तो प्रेम दीवानी
आ पिया, इन नैनन में,
तो पलक ढाँप तोहे मैं लूँ,
ना मैं देखूँ गैर को,
ना तोहे देखन दूँ।
हिंदी मीनिंग : इस
भजन में बाई मीरा कहती हैं की मेरे प्रियतम तुमको मैं अपने नैनों में ढक
लूँ, मैं तुमको अपनी पलकों में छुपा लूँ। ढाँप लेने का हिंदी अर्थ है ढक
लेना है। ना तो मैं किसी गैर को देखूं और नाहीं तुमको ही किसी गैर को देखने
दूँ। इन पंक्तियों में मीरा बाई ने प्रेम के अधिकार को दर्शाया है। प्रेम
पूर्ण रूप से समर्पण चाहता है। वहां किसी दूसरे के लिए स्थान नहीं होता है।
ए सखी री मैं तो प्रेम दीवानी, मेरा दरद ना जाने कोय : हे सखी
मैं तो प्रेम दीवानी हूँ। मेरा दर्द कोई जान नहीं सकता है। उल्लेखनीय है की
विरह की अग्नि में दग्ध जीवात्मा ही स्वंय के विषय में जान सकते हैं।
सामान्य जन इसके बारे समझ नहीं सकते हैं।
साँवरा-श्री कृष्ण।
मोरे पिया की- मेरे प्रियतम की।
मोरे पिया की सैज सूली पर रे- मेरे प्रियतम की सेज सूली है। भाव है की अत्यंत ही कठिन है प्रिय को पाना।
मिलना किस पल होय : उससे किस विधि से मिलना सम्भव हो सकता है।
वो घायल की गति, घायल जाने, और जे कोई घायल होय : घायल की गति को घायल ही जान सकता है की पीड़ा किसे कहते हैं।
हीरे की गति, झंवरी जाने : हीरे की परख पारखी जोहरी (झंवरी) ही जान सकता है।
जे कोई झंवरी होय : जो कोई जौहरी हो तो।
कहे मीरा बाई प्रभु, गिरधर नागर : मीरा बाई कहती हैं की मेरे गिरधर नागर।
मेरी धान हरी से होइ : मेरा ध्यान (चित्त, प्रेम लगन ) ईश्वर से हो गई है।
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