साँवरे को दिल में बसाकर तो देखो

साँवरे को दिल में बसाकर तो देखो भजन

 
साँवरे को दिल में बसाकर तो देखो Sanware Ko Dil Me Chitra Vichitra Ji Maharaj

सांवरे को दिल में बसाकर तो देखो,
दुनियाँ से मन को हटा करके देखो,
बड़ा ही दयालु है बाँके बिहारी,
इक बार वृन्दावन आकर तो देखो।
बाँके बिहारी भक्तो के दिलदार,
सदा लुटाते है कृपा के भंडार।

मीरा ने जैसे गिरधर को पाया,
प्याला जहर का अमृत बनाया,
तुम अपनी हस्ती मिटा कर तो देखो,
इक बार वृन्दावन आ कर तो देखो।
बाँके बिहारी भक्तो के दिलदार,
सदा लुटाते है कृपा के भंडार।

श्याम बिना मेरा कोई ना अपना,
ये दुनिया है इक झूठा सपना,
नज़रों से पर्दा हटा कर तो देखो,
इक बार वृन्दावन आ कर तो देखो।
बाँके बिहारी भक्तो के दिलदार,
सदा लुटाते है कृपा के भंडार।

तेरी पल में झोली वो भर देगा,
दुख दर्द जिंदगी के वो हर लेगा,
चौखट पे दामन फैला कर तो देखो,
इक बार वृन्दावन आ कर तो देखो।
बाँके बिहारी भक्तो के दिलदार,
सदा लुटाते है कृपा के भंडार।

चित्र विचित्र का तो बस यही कहना,
गुरु चरणो से कभी दूर नहीं रहना,
जिंदगी ये बंदगी में मिटा कर तो देखो,
इक बार वृन्दावन आ कर तो देखो।
बाँके बिहारी भक्तो के दिलदार,
सदा लुटाते है कृपा के भंडार।

साँवरे को दिल में बसाकर तो देखो,
दुनियाँ से मन को हटा करके देखों,
बड़ा ही दयालु है बांके बिहारी,
इक बार वृन्दावन आकर तो देखो।।


Sawre Ko Dil Me Basa Kar "Hit krishan Bhajan" By Chitra Vichitra Ji Maharaj
 

Saanvare Ko Dil Mein Basaakar To Dekho,
Duniyaan Se Man Ko Hata Karake Dekho,
Bada Hi Dayaalu Hai Baanke Bihaari,
Ik Baar Vrndaavan Aakar To Dekho.
Baanke Bihaari Bhakto Ke Diladaar,
Sada Lutaate Hai Krpa Ke Bhandaar.

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► Album - Pagal Ke Pagal
► Song - Sawre Ko Dil Me Basa Kar
► Singer - Chitra Vichitra Ji
► Music -Bijendara Singh Chauhan
► Lyrics - Chitra Vichitra Ji
➤ Label - Vianet Media
➤ Sub Label - Saawariya

"सांवरिये ने बनड़ो बना दियो" का अर्थ है कि भक्तों ने अपने प्रेम और भक्ति से श्रीकृष्ण का श्रृंगार किया है, जिसे देखकर भगवान बिहारी का रूप और भी सुंदर और दिव्य हो जाता है। इस गीत में भक्तों का आह्वान है कि वे अपने मन से सभी मोह-माया को हटा कर, वृंदावन जाकर भगवान की भक्ति करें।

बांके बिहारी का अर्थ है "वह जो आकुंचित और झुकी हुई मुद्रा में हैं" — यह श्रीकृष्ण के त्रिभंग मुद्रा (त्रिकोण मुद्रा) का प्रतीक है, जो उनकी अद्भुत स्वाभाविक भंगिमा और लीलाओं को दर्शाता है। श्रीकृष्ण का यह रूप उनके नैसर्गिक प्रेम, सौंदर्य और दिव्यता का प्रतीक है, जिसे सुनकर श्रद्धालु आत्मविभोर हो जाते हैं।
 
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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