
भोले तेरी भक्ति का अपना ही
कबीर दोहा/साखी हिंदी मीनिंग- इस दोहे का भाव है की इंगला और पिंगला एक हो गई हैं और नाम जाप की वृति अब मौन में बदल चुकी है. इस अवस्था में साकार और निराकार एक हो गए हैं, अब केवल निराकार ही शेष रह गया है. अब राम नाम जाप अब सतत और निरंतर सुमिरण होकर स्थाई हो गया है. इस प्रकार से आत्मा और पूर्ण परमात्मा एकाकार हो गए हैं. इस अवस्था में मौखिक जाप का कोई महत्त्व शेष नहीं रह जाता है.
यह चित्त में समां जाता है और यही सहज भक्ति का रूप भी है, जहाँ पर किसी बाह्य और भौतिक क्रियाओं का कोई महत्त्व शेष नहीं रह जाता है. बगैर राम जपे ही जाप संपन्न हो जाता है, यही भक्ति की सर्वोच्च अवस्था है. ऐसी स्थिति में उसके स्वांस स्वांस में राम व्याप हो जाता है, अंग अंग में राम व्याप्त हो जाता है. भौतिक जगत में रहकर भी वह इस जगत से प्रथक हो जाता है. लेख अलेख में समा जाता है.
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं एक विशेषज्ञ के रूप में रोचक जानकारियों और टिप्स साझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |