अमृत केरी पुरिया बहु बिधि दीन्हा छोर मीनिंग
अमृत केरी पुरिया, बहु बिधि दीन्हा छोर ।
आप सरीषा जो मिलै, ताहि पिआवहु घोर ।
Amrit Keri Puriya Bahu Bidhi Dinha Chhor,
Aap Sarikha Jo Mile, Tahi Piaavahu Ghor.
अमृत केरी पुरिया : अमृत की पुडिया. पुरिया-पुड़िया.
बहु बिधि : अनेकों प्रकार से, अनेकों विधियों से।
दीन्हा छोर : खोलकर दे दी है, पोटली खोल दी है छोर से।
आप सरीषा : आप जैसा, आपके समान.
ताहि : उसको.
पिआवहु : पिलाना.
घोर : घोल कर.
अमृत की पुड़िया गुरु साहेब ने अनेकों प्रकार से साधक के समक्ष खोल कर रख दी है. हरिजन, राम भक्ति में आनंद लेने वाले व्यक्ति को जो अपने स्वभाव के जैसा ही है, उसे घोलकर इस राम रसायन रूपी पुड़िया को घोलकर पिला दो. भाव है की गुरु ने जो ज्ञान दिया है, राम रसायन की पुड़िया दी है उसे ग्रहण करके सभी राम भक्तों को घोल कर पिलाना चाहिए. हरी रस बांटने से बढ़ता है।
साधक को अधिक से अधिक राम भक्तों के मध्य गुरु के ज्ञान का वितरण करना चाहिए. राम रसायन से आशय है की गुरु का ज्ञान. गुरु का ज्ञान यही है की किसी आडम्बर में मत पड़ो, हरी के नाम का सुमिरण करो. मानवीय गुणों को धारण करो और सच्चे हृदय से हरी के नाम का सुमिरण करो जो मुक्ति का मार्ग है।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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