इस राजस्थानी गीत का मुख्य भाव विरह का जिसमे नायिका अपने पति के परदेस में नौकरी पर चले जाने पर दुःख प्रकट करती है और अपने हृदय के भावों को प्रकट करती है। इस राजस्थानी गीत का हिंदी अर्थ/मीनिंग निचे दिया गया है।
पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आए पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आए धाइ जी थारी नौकरी जी, मेरो घणों ही कमाऊँ घर आय, पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आय।
चांदया तेरे चानणे जी, साहिबा छत पर घाली खाट, गयो ना राजीन बावड़यो जी, कोई रात्यूं जोई बाट,
मैं मेरी माँ क लाडली जी, कोई मोत्यां बीचळी लाल, सासू के अनखावणी जी, मेरे राजन आवे याद, पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आय।
सासू को सिर गूंथती जी,
Rajasthani Folk Songs Lyrics in Hindi
साहिबा नौ नौ बँट लगाय हाथ जोड़ विनती करूँ जी, थारों बेटो दयौ जी बुलाय, पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आय।
पूरब की नौकरी मेरो परदेशी घर आए सांग हिंदी मीनिंग
पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आए : उल्लेखनीय है की पहले जब राजस्थान में संसाधनों की कमी थी तो लोग पूर्व की दिशा में काम धंधे की तलाश में जाते थे। विरह अग्नि में तड़प रही नायिका इसे "पूरब की नौकरी" कहकर अपने मन की व्यथा का वर्णन करती है की मेरा परदेशी (पति) घर नहीं आया है।
धाइ जी थारी नौकरी जी, मेरो घणों ही कमाऊँ घर आय : मैं तो तंग आ गई हूँ (ध्याइ-तुम्हे ही मुबारक हो), मैंने मान लिया है की मेरा बहुत कमाने वाला कब घर पर आ जाए। नायिका कहती है की ऐसी नौकरी तुम्हे ही मुबारक हो, मैं तो चाहती हूँ की मेरा परदेशी (प्रिय पति) घर पर लौट आएं। पूरब की नौकरी जी, मेरो परदेशी घर आय : पूरब की नौकरी से मेरा परदेशी घर पर आ जाए, लौट आए। चांदया तेरे चानणे जी, साहिबा छत पर घाली खाट : चन्द्रमा (चांदया), चाँद तेरे उजाले (चानणे -प्रकाश) में मैं छत पर खटिया डाली है। गयो ना राजीन बावड़यो जी, कोई रात्यूं जोई बाट : मेरे राजिन (राजन, स्वामी, पति) मेरा साहिबा चला गया है और मैंने रातों को उसकी राह देखी है। बावड़्यो-मुड़कर लौट आना। बाट - राह देखना। मैं मेरी माँ क लाडली जी, कोई मोत्यां बीचळी लाल : मैं (नायिका) तो अपनी माँ के लाड़ली रही हूँ, जैसे मोतियों में कोई लाल (रत्न) हो। सासू के अनखावणी जी, मेरे राजन आवे याद : लेकिन सासु मुझे पसंद नहीं करती है। मैं सासु के लिए आँखों की किरकिरी (अनखावणी) हूँ। मुझे मेरे राजिन (पिया) की याद आ रही है। सासू को सिर गूंथती जी, साहिबा नौ नौ बँट लगाय : मैं मेरे सासु की चोटी बनाती हूँ और सर के बाल को गूंथने के वक़्त नो नो गांठें बना रही हूँ। बंट लगाना- बालो को गोल गोल घुमाकर चोटी बनाना। हाथ जोड़ विनती करूँ जी, थारों बेटो दयौ जी बुलाय : ऐसे मैं मैं अपनी सासु से विनती करती हूँ की आप अपने बेटे को वापस नौकरी से बुला लो।
Purab Ki Naukri | Latest Romantic Sad Song | Seema Mishra New Rajasthani Song
Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aae Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aae Dhai Ji Thaari Naukari Ji, Mero Ghanon Hi Kamaun Ghar Aay, Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aay.
Chaandaya Tere Chaanane Ji, Saahiba Chhat Par Ghaali Khaat, Gayo Na Raajin Baavadayo Ji, Koi Raatyun Joi Baat, Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aay.
Main Meri Maan Ka Laadali Ji, Koi Motyaan Bichali Laal, Saasu Ke Anakhaavani Ji, Mere Raajan Aave Yaad, Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aay.
Saasu Ko Sir Gunthati Ji, Saahiba Nau Nau Bant Lagaay Haath Jod Vinati Karun Ji, Thaaron Beto Dayau Ji Bulaay, Purab Ki Naukari Ji, Mero Paradeshi Ghar Aay.
Author - Saroj Jangir
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