श्री पार्श्वनाथ चालीसा सम्पूर्ण लिरिक्स Shri Parshvnath Chalisa Lyrics, Jain Bhajan Lyrics Hindi Chalisa by Rajkumar Vinayak
भगवान पार्श्वनाथ श्री जैन धर्म के २३ वे तीर्थंकर हैं। पुरातन अभिलेखों के आधार पर भगवान पार्श्वनाथ जी का जन्म वर्तमान समय से 2 हजार 9 सौ वर्ष पूर्व वाराणसी (उत्तरप्रदेश) में हुआ था। इनके पिता अश्वसेन और माता का नाम वामा था। इनका जन्म कृष्ण एकादशी के रोज हुआ था। भगवान पार्श्वनाथ ने काशी में शिक्षा को ग्रहण किया। पार्श्वनाथ ने चतुर्विध संघ की स्थापना की, जिसमे मुनि, आर्यिका, श्रावक, श्राविका होते है।
तीर्थंकर पार्शवनाथ ने जैन धर्म के चार मुख्य व्रत – सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह की शिक्षा लोगों को दी एंव भगवान पार्श्व नाथ की शिक्षाएं:-
सदैव ही सत्य बोलना
कभी चोरी ना करना
संपत्ति का संचय नहीं करना
कभी जीवों पर हिंसा न करना
सदैव ही आत्म संयम रखना।
सदैव ही सत्य बोलना
कभी चोरी ना करना
संपत्ति का संचय नहीं करना
कभी जीवों पर हिंसा न करना
सदैव ही आत्म संयम रखना।
शीश नवा अरिहंत को, सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम।
सर्व साधू और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मंदिर में धार।
|| चौपाई ||
पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी |
सुर नर असुर करे तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवां।
तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारां।
अश्वसैन के राजदुलारे, वामा की आँखो के तारें।
काशी जी के स्वामी कहाये, सारी परजा मौज उड़ाएं।
इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुँचे |
हाथी पर कसकर अम्बारी, इक जगंल में गयी सवारी |
एक तपस्वी देख वहां पर, उससे बोले वचन सुना कर |
तपसी तुम क्यों पाप कमाते, इस लक्कड़ में जीव जलाते |
तपसी तभी कुदाल उठाया, उस लक्कड़ को चीर गिराया |
निकलें नाग नागनी कारे, मरने के थे निकट बिचारे |
रहम प्रभू के दिल में आया, तभी मन्त्र नवकार सुनाया |
भर कर वो पाताल सिधाये, पद्मावति धरणेन्द्र कहाएँ,
तपसी मर कर देव कहाया, नाम कमठ ग्रन्थों में गाया |
एक समय श्रीपारस स्वामी, राज छोड़ कर वन की ठानी |
तप करते थे ध्यान लगाये, इकदिन कमठ वहाँ पर आएं,
फौरन ही प्रभु को पहचाना, बदला लेना दिल में ठाना |
बहुत अधिक बारिश बरसाई, बादल गरजे बिजली गिरायी,
बहुत अधिक पत्थर बरसाए, स्वामी तन को नहीं हिलाए,
पद्मावती धरणेन्द्र भी आए, प्रभु की सेवा मे चित लाये,
धरणेन्द्र ने फन फैलाया, प्रभु के सिर पर छत्र बनाया |
पद्मावति ने फ़न फ़ैलाया, उस पर स्वामी को बैठाया |
कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपाया, समोशरण देवेन्द्र रचाया |
यही जगह अहिच्छत्र कहाये, पात्र केशरी जहाँ पर आए,
शिष्य पाँच सौ संग विद्वाना, जिनको जाने सकल जहाना |
पार्श्वनाथ का दर्शन पाया सबने जैन धरम अपनाया |
अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरी, जहाँ सुखी थी परजा सगरी |
राजा श्री वसुपाल कहाये, वो इक जिन मन्दिर बनवाए,
प्रतिमा पर पालिश करवाया, फौरन इक मिस्त्री बुलवाया |
वह मिस्तरी माँस था खाता, इससे पालिश था गिर जाता |
मुनि ने उसे उपाय बताया, पारस दर्शन व्रत दिलवाया |
मिस्त्री ने व्रत पालन कीना, फौरन ही रंग चढ़ा नवीना |
गदर सतावन का किस्सा है, इक माली का यों लिखा है,
वह माली प्रतिमा को लेकर, झट छुप गया कुए के अन्दर |
उस पानी का अतिशय भारी, दूर होय सारी बीमारी |
जो अहिच्छत्र ह्रदय से ध्यावें, सो नर उत्तम पदवी वावे |
पुत्र संपदा की बढ़ती हो, पापों की इक दम घटती हों।
है तहसील आँवला भारी, स्टेशन पर मिले सवारी |
रामनगर इक ग्राम बराबर, जिसको जाने सब नारी नर |
चालीसे को चन्द्र बनाये, हाथ जोड़कर शीश नवाएँ,
सोरठा:
नित चालीसहिं बार, पाठ करे चालीस दिन |
खेय सुगन्ध अपार, अहिच्छत्र में आय के |
होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो |
जिसके नहिं सन्तान, नाम वंश जग में चले ||
उपाध्याय आचार्य का ले सुखकारी नाम।
सर्व साधू और सरस्वती, जिन मन्दिर सुखकार।
अहिच्छत्र और पार्श्व को, मन मंदिर में धार।
|| चौपाई ||
पार्श्वनाथ जगत हितकारी, हो स्वामी तुम व्रत के धारी |
सुर नर असुर करे तुम सेवा, तुम ही सब देवन के देवां।
तुमसे करम शत्रु भी हारा, तुम कीना जग का निस्तारां।
अश्वसैन के राजदुलारे, वामा की आँखो के तारें।
काशी जी के स्वामी कहाये, सारी परजा मौज उड़ाएं।
इक दिन सब मित्रों को लेके, सैर करन को वन में पहुँचे |
हाथी पर कसकर अम्बारी, इक जगंल में गयी सवारी |
एक तपस्वी देख वहां पर, उससे बोले वचन सुना कर |
तपसी तुम क्यों पाप कमाते, इस लक्कड़ में जीव जलाते |
तपसी तभी कुदाल उठाया, उस लक्कड़ को चीर गिराया |
निकलें नाग नागनी कारे, मरने के थे निकट बिचारे |
रहम प्रभू के दिल में आया, तभी मन्त्र नवकार सुनाया |
भर कर वो पाताल सिधाये, पद्मावति धरणेन्द्र कहाएँ,
तपसी मर कर देव कहाया, नाम कमठ ग्रन्थों में गाया |
एक समय श्रीपारस स्वामी, राज छोड़ कर वन की ठानी |
तप करते थे ध्यान लगाये, इकदिन कमठ वहाँ पर आएं,
फौरन ही प्रभु को पहचाना, बदला लेना दिल में ठाना |
बहुत अधिक बारिश बरसाई, बादल गरजे बिजली गिरायी,
बहुत अधिक पत्थर बरसाए, स्वामी तन को नहीं हिलाए,
पद्मावती धरणेन्द्र भी आए, प्रभु की सेवा मे चित लाये,
धरणेन्द्र ने फन फैलाया, प्रभु के सिर पर छत्र बनाया |
पद्मावति ने फ़न फ़ैलाया, उस पर स्वामी को बैठाया |
कर्मनाश प्रभु ज्ञान उपाया, समोशरण देवेन्द्र रचाया |
यही जगह अहिच्छत्र कहाये, पात्र केशरी जहाँ पर आए,
शिष्य पाँच सौ संग विद्वाना, जिनको जाने सकल जहाना |
पार्श्वनाथ का दर्शन पाया सबने जैन धरम अपनाया |
अहिच्छत्र श्री सुन्दर नगरी, जहाँ सुखी थी परजा सगरी |
राजा श्री वसुपाल कहाये, वो इक जिन मन्दिर बनवाए,
प्रतिमा पर पालिश करवाया, फौरन इक मिस्त्री बुलवाया |
वह मिस्तरी माँस था खाता, इससे पालिश था गिर जाता |
मुनि ने उसे उपाय बताया, पारस दर्शन व्रत दिलवाया |
मिस्त्री ने व्रत पालन कीना, फौरन ही रंग चढ़ा नवीना |
गदर सतावन का किस्सा है, इक माली का यों लिखा है,
वह माली प्रतिमा को लेकर, झट छुप गया कुए के अन्दर |
उस पानी का अतिशय भारी, दूर होय सारी बीमारी |
जो अहिच्छत्र ह्रदय से ध्यावें, सो नर उत्तम पदवी वावे |
पुत्र संपदा की बढ़ती हो, पापों की इक दम घटती हों।
है तहसील आँवला भारी, स्टेशन पर मिले सवारी |
रामनगर इक ग्राम बराबर, जिसको जाने सब नारी नर |
चालीसे को चन्द्र बनाये, हाथ जोड़कर शीश नवाएँ,
सोरठा:
नित चालीसहिं बार, पाठ करे चालीस दिन |
खेय सुगन्ध अपार, अहिच्छत्र में आय के |
होय कुबेर समान, जन्म दरिद्री होय जो |
जिसके नहिं सन्तान, नाम वंश जग में चले ||
बहुत मन मोहक जैन भजन | श्री पार्श्वनाथ चालीसा। Shri Parshwanath Chalisa |Rajkumar Vinayak | Video
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Shish Nava Arihant Ko, Siddhan Karun Pranaam.
Upaadhyaay Aachaary Ka Le Sukhakaari Naam.
Sarv Saadhu Aur Sarasvati, Jin Mandir Sukhakaar.
Ahichchhatr Aur Paarshv Ko, Man Mandir Mein Dhaar.
|| Chaupai ||
Paarshvanaath Jagat Hitakaari, Ho Svaami Tum Vrat Ke Dhaari |
Sur Nar Asur Kare Tum Seva, Tum Hi Sab Devan Ke Devaan.
Tumase Karam Shatru Bhi Haara, Tum Kina Jag Ka Nistaaraan.
Ashvasain Ke Raajadulaare, Vaama Ki Aankho Ke Taaren.
Kaashi Ji Ke Svaami Kahaaye, Saari Paraja Mauj Udaen.
Ik Din Sab Mitron Ko Leke, Sair Karan Ko Van Mein Pahunche |
Haathi Par Kasakar Ambaari, Ik Jaganl Mein Gayi Savaari |
Ek Tapasvi Dekh Vahaan Par, Usase Bole Vachan Suna Kar |
Tapasi Tum Kyon Paap Kamaate, Is Lakkad Mein Jiv Jalaate |
Tapasi Tabhi Kudaal Uthaaya, Us Lakkad Ko Chir Giraaya |
Nikalen Naag Naagani Kaare, Marane Ke The Nikat Bichaare |
Raham Prabhu Ke Dil Mein Aaya, Tabhi Mantr Navakaar Sunaaya |
Bhar Kar Vo Paataal Sidhaaye, Padmaavati Dharanendr Kahaen,
Tapasi Mar Kar Dev Kahaaya, Naam Kamath Granthon Mein Gaaya |
Ek Samay Shripaaras Svaami, Raaj Chhod Kar Van Ki Thaani |
Tap Karate The Dhyaan Lagaaye, Ikadin Kamath Vahaan Par Aaen,
Phauran Hi Prabhu Ko Pahachaana, Badala Lena Dil Mein Thaana |
Bahut Adhik Baarish Barasai, Baadal Garaje Bijali Giraayi,
Bahut Adhik Patthar Barasae, Svaami Tan Ko Nahin Hilae,
Padmaavati Dharanendr Bhi Aae, Prabhu Ki Seva Me Chit Laaye,
Dharanendr Ne Phan Phailaaya, Prabhu Ke Sir Par Chhatr Banaaya |
Padmaavati Ne Fan Failaaya, Us Par Svaami Ko Baithaaya |
Karmanaash Prabhu Gyaan Upaaya, Samosharan Devendr Rachaaya |
Yahi Jagah Ahichchhatr Kahaaye, Paatr Keshari Jahaan Par Aae,
Shishy Paanch Sau Sang Vidvaana, Jinako Jaane Sakal Jahaana |
Paarshvanaath Ka Darshan Paaya Sabane Jain Dharam Apanaaya |
Ahichchhatr Shri Sundar Nagari, Jahaan Sukhi Thi Paraja Sagari |
Raaja Shri Vasupaal Kahaaye, Vo Ik Jin Mandir Banavae,
Pratima Par Paalish Karavaaya, Phauran Ik Mistri Bulavaaya |
Vah Mistari Maans Tha Khaata, Isase Paalish Tha Gir Jaata |
Muni Ne Use Upaay Bataaya, Paaras Darshan Vrat Dilavaaya |
Mistri Ne Vrat Paalan Kina, Phauran Hi Rang Chadha Navina |
Gadar Sataavan Ka Kissa Hai, Ik Maali Ka Yon Likha Hai,
Vah Maali Pratima Ko Lekar, Jhat Chhup Gaya Kue Ke Andar |
Us Paani Ka Atishay Bhaari, Dur Hoy Saari Bimaari |
Jo Ahichchhatr Hraday Se Dhyaaven, So Nar Uttam Padavi Vaave |
Putr Sampada Ki Badhati Ho, Paapon Ki Ik Dam Ghatati Hon.
Hai Tahasil Aanvala Bhaari, Steshan Par Mile Savaari |
Raamanagar Ik Graam Baraabar, Jisako Jaane Sab Naari Nar |
Chaalise Ko Chandr Banaaye, Haath Jodakar Shish Navaen,
Soratha:
Nit Chaalisahin Baar, Paath Kare Chaalis Din |
Khey Sugandh Apaar, Ahichchhatr Mein Aay Ke |
Hoy Kuber Samaan, Janm Daridri Hoy Jo |
Jisake Nahin Santaan, Naam Vansh Jag Mein Chale ||
Upaadhyaay Aachaary Ka Le Sukhakaari Naam.
Sarv Saadhu Aur Sarasvati, Jin Mandir Sukhakaar.
Ahichchhatr Aur Paarshv Ko, Man Mandir Mein Dhaar.
|| Chaupai ||
Paarshvanaath Jagat Hitakaari, Ho Svaami Tum Vrat Ke Dhaari |
Sur Nar Asur Kare Tum Seva, Tum Hi Sab Devan Ke Devaan.
Tumase Karam Shatru Bhi Haara, Tum Kina Jag Ka Nistaaraan.
Ashvasain Ke Raajadulaare, Vaama Ki Aankho Ke Taaren.
Kaashi Ji Ke Svaami Kahaaye, Saari Paraja Mauj Udaen.
Ik Din Sab Mitron Ko Leke, Sair Karan Ko Van Mein Pahunche |
Haathi Par Kasakar Ambaari, Ik Jaganl Mein Gayi Savaari |
Ek Tapasvi Dekh Vahaan Par, Usase Bole Vachan Suna Kar |
Tapasi Tum Kyon Paap Kamaate, Is Lakkad Mein Jiv Jalaate |
Tapasi Tabhi Kudaal Uthaaya, Us Lakkad Ko Chir Giraaya |
Nikalen Naag Naagani Kaare, Marane Ke The Nikat Bichaare |
Raham Prabhu Ke Dil Mein Aaya, Tabhi Mantr Navakaar Sunaaya |
Bhar Kar Vo Paataal Sidhaaye, Padmaavati Dharanendr Kahaen,
Tapasi Mar Kar Dev Kahaaya, Naam Kamath Granthon Mein Gaaya |
Ek Samay Shripaaras Svaami, Raaj Chhod Kar Van Ki Thaani |
Tap Karate The Dhyaan Lagaaye, Ikadin Kamath Vahaan Par Aaen,
Phauran Hi Prabhu Ko Pahachaana, Badala Lena Dil Mein Thaana |
Bahut Adhik Baarish Barasai, Baadal Garaje Bijali Giraayi,
Bahut Adhik Patthar Barasae, Svaami Tan Ko Nahin Hilae,
Padmaavati Dharanendr Bhi Aae, Prabhu Ki Seva Me Chit Laaye,
Dharanendr Ne Phan Phailaaya, Prabhu Ke Sir Par Chhatr Banaaya |
Padmaavati Ne Fan Failaaya, Us Par Svaami Ko Baithaaya |
Karmanaash Prabhu Gyaan Upaaya, Samosharan Devendr Rachaaya |
Yahi Jagah Ahichchhatr Kahaaye, Paatr Keshari Jahaan Par Aae,
Shishy Paanch Sau Sang Vidvaana, Jinako Jaane Sakal Jahaana |
Paarshvanaath Ka Darshan Paaya Sabane Jain Dharam Apanaaya |
Ahichchhatr Shri Sundar Nagari, Jahaan Sukhi Thi Paraja Sagari |
Raaja Shri Vasupaal Kahaaye, Vo Ik Jin Mandir Banavae,
Pratima Par Paalish Karavaaya, Phauran Ik Mistri Bulavaaya |
Vah Mistari Maans Tha Khaata, Isase Paalish Tha Gir Jaata |
Muni Ne Use Upaay Bataaya, Paaras Darshan Vrat Dilavaaya |
Mistri Ne Vrat Paalan Kina, Phauran Hi Rang Chadha Navina |
Gadar Sataavan Ka Kissa Hai, Ik Maali Ka Yon Likha Hai,
Vah Maali Pratima Ko Lekar, Jhat Chhup Gaya Kue Ke Andar |
Us Paani Ka Atishay Bhaari, Dur Hoy Saari Bimaari |
Jo Ahichchhatr Hraday Se Dhyaaven, So Nar Uttam Padavi Vaave |
Putr Sampada Ki Badhati Ho, Paapon Ki Ik Dam Ghatati Hon.
Hai Tahasil Aanvala Bhaari, Steshan Par Mile Savaari |
Raamanagar Ik Graam Baraabar, Jisako Jaane Sab Naari Nar |
Chaalise Ko Chandr Banaaye, Haath Jodakar Shish Navaen,
Soratha:
Nit Chaalisahin Baar, Paath Kare Chaalis Din |
Khey Sugandh Apaar, Ahichchhatr Mein Aay Ke |
Hoy Kuber Samaan, Janm Daridri Hoy Jo |
Jisake Nahin Santaan, Naam Vansh Jag Mein Chale ||