एक जू दोसत हम किया जिस गलि मीनिंग

एक जू दोसत हम किया जिस गलि लाल कबाइ मीनिंग

एक जू दोसत हम किया, जिस गलि लाल कबाइ।
एक जग धोबी धोइ मरै, तौ भी रंग न जाइ॥

Ek Ju Dosat Hum Kiya, Jis Gali Laal Kabaai,
Ej Jag Dhobi Dhoi Mare, To Bhi Rang Na Jaai.

एक जू : एक जो, एक ऐसा.
दोसत : दोस्त, मित्र.
हम किया : मैंने बना लिया है.
जिस गलि : जिसके गले में.
लाल कबाइ : लाल रंग के वस्त्र, लाल रंग का चोगा.
जग धोबी : संसार के सभी धोबी.
धोइ मरै : यदि धोते हैं, प्रयत्न करते हैं.
तौ भी रंग न जाइ : तब भी रंग नहीं जाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की मैंने एक दोस्त बनाया है, जिसके गले में लाल रंग का चोगा, अंगरखा है. इस कपडे का लाल रंग इतना पक्का है की सारे जग के धोबी मिलकर भी यदि इसे धोएं तो इसका रंग नहीं जाता है. भाव है की भक्ति प्रेम रस अत्यंत ही पक्का है. भाव है की साधक भक्ति में पूर्ण रूप से डूबा हुआ है और उसने भक्ति के रंग को स्वंय में शामिल कर लिया है. उसकी दृढ आस्था है की अब यह रंग कभी दूर नहीं होगा.  प्रस्तुत साखी में विशेसोक्ति अलंकार की सफल व्यंजना हुई है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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