मन गोरख मन गोविंदो मीनिंग Man Gorakh Man Govindo Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning/Bhavarth)
मन गोरख मन गोविंदो, मन हीं औघड़ होइ।जे मन राखै जतन करि, तौ आपै करता सोइ॥
Man Gorakh Man Govindo, Man Hi Oghad Hoi,
Je Man Rakhe Jatan kari, To Aape Karata Soi.
मन गोरख : मन ही गोरख है, गोरक्षनाथ जी जो प्रसिद्द नाथ पन्त के गुरु हैं (नो नाथ में से एक )
मन गोविंदो : मन ही इश्वर है.
मन हीं औघड़ होइ : मन ही ओघड है.
औघड़ : तन पर भभूती लगाने वाले प्रसिद्द तांत्रिक.
जे मन राखै जतन करि : यदि मन को यतन पूर्वक विषय वासनाओं से अलग कर लिया जाए.
तौ आपै करता सोइ : तो वह स्वंय ही इश्वर बन जाता है.
मन गोविंदो : मन ही इश्वर है.
मन हीं औघड़ होइ : मन ही ओघड है.
औघड़ : तन पर भभूती लगाने वाले प्रसिद्द तांत्रिक.
जे मन राखै जतन करि : यदि मन को यतन पूर्वक विषय वासनाओं से अलग कर लिया जाए.
तौ आपै करता सोइ : तो वह स्वंय ही इश्वर बन जाता है.
प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की भक्ति मार्ग में स्वंय पर नियंत्रण रखना अति आवश्यक है. मन से ही समस्त क्रियाएं संपन्न होती हैं. मन को ही गोरख समझो और मन को ही इश्वर (गोविन्द) समझो. मन ही ओघड़ है जो समस्त परिस्थितियों को एक ही समान समझता है. अतः मन की सर्वोपरी है. यदि कोई मानसिक नियंत्रण को प्राप्त कर अपने मन को नियंत्रण में रखता है तो स्वंय ही इश्वर का रूप बन जाता है. कबीर साहेब ने कई स्थानों पर स्पष्ट किया है की भक्ति कोई भौतिक कार्य नहीं है. भक्ति पूर्ण रूप से आत्मिक और मानसिक है. साहीब के मुताबिक़ किसी तीर्थ, मंदिर मस्जिद आदि नहीं वरन मानसिक है. सच्चे मन से इश्वर का सुमिरण ही प्रयाप्त है. प्रस्तुत साखी में उल्लेख अलंकार की व्यंजना हुई है.
Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें। |