तीन लोक चोरी भई सब का सरबस लीन्ह मीनिंग कबीर के दोहे

तीन लोक चोरी भई सब का सरबस लीन्ह मीनिंग Teen Lok Chori Bhai Meaning Kabir Dohe

तीन लोक चोरी भई , सब का सरबस लीन्ह।
बिना मूंड का चोरवा , परा न काहू चीन्ह।
Teen Lok Chori Bhai, Sab Ka Sarbas Leenh,
Bina Mund Ko Chorava, Pura Na Kahu Chinh.

तीन लोक चोरी भई : तीन लोक (तीन लोक देवलोक, भूलोक तथा पाताल लोक) चोरी हो गया है.
सब का सरबस लीन्ह : उसने सर्वस्व ले लिया है. वह बिना सर का चोर है.
बिना मूंड का चोरवा : वह बिना मुंड का चोर है, उसके माथा/सर नहीं है.
परा न काहू चीन्ह : पैरों से कोई उनको चिन्हित नहीं कर सकता है.

तीनो लोक चोरी हो गए हैं, उसने चोरी भी ऐसी की है जिससे उसने सर्वस्व ले लिया है. वह बिना मुंड का चोर है और उसको कोई चिन्हित नहीं कर सकता है. यहाँ पर कबीर साहेब ने माया को बगैर मस्तक का चोर बताया है जो बिना कुछ पहचानने की सब कुछ चोरी करके ले जाती है. माया को पहचान पाना संभव नहीं है इसीलिए उसे बगैर मस्तक का कहा गया है. गुरु ज्ञान के अनुसरण के उपरान्त ही उसकी पहचान की जा सकती है.
Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें

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