इस मन कौ बिसमल करौं हिंदी मीनिंग Is Man Ko Bismal Karo Meaning Kabir Dohe
इस मन कौ बिसमल करौं हिंदी मीनिंग Is Man Ko Bismal Karo Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Bhavarth/Meaning)
इस मन कौ बिसमल करौं, दीठा करौं अदीठ।जै सिर राखौं आपणां, तौ पर सिरिज अंगीठ॥
Is Man Ko Bismal Karo, Deetha Karo Adeeth,
Je Sir Rakho Aapna, To Par Sirij Angeeth.
इस मन कौ : हृदय को, चित्त को.
बिसमल करौं : घायल कर दूँ.
दीठा करौं अदीठ : द्रष्टा को बिना देखा हुआ कर दूँ, जो अद्रश्य है उसे देखने लगूं.
जै सिर राखौं आपणां : जो अपना सर रखे, अहंकार को यदि कोई रखे, अहम् को रखे.
तौ पर सिरिज अंगीठ : तो सर पर अंगीठी रख दी जाए.
बिसमल करौं : घायल कर दूँ.
दीठा करौं अदीठ : द्रष्टा को बिना देखा हुआ कर दूँ, जो अद्रश्य है उसे देखने लगूं.
जै सिर राखौं आपणां : जो अपना सर रखे, अहंकार को यदि कोई रखे, अहम् को रखे.
तौ पर सिरिज अंगीठ : तो सर पर अंगीठी रख दी जाए.
प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब की वाणी है की मैं अपने मन को अधमरा कर दूँ, जो द्रश्य है उसे अद्रश्य कर दू. भाव है की जो भी इस मायाजनित संसार में दिखाई देता है उसे मैं विस्मृत करके ऐसा कुछ देखू जो इस लोक से परे है. यदि मैं अपना अहम् भाव भक्ति साधना में रखूं तो मेरे सर पर अंगारों की अंगीठी को रख दिया जाय. भाव है की यदि व्यक्ति भक्ति मार्ग पर आगे बढना चाहता है तो उसे अवश्य ही अहम् को छोड़ना पड़ेगा और इश्वर का अहम् रहित सुमिरण करना पड़ेगा. प्रस्तुत साखी में कबीर साहेब का भाव है की इस संसार में यदि किसी को भक्ति करनी है तो उसे अवश्य ही समस्त मोह माया से ऊपर उठना पड़ेगा और वह देखना होगा जो इस जगत से परे है. ऐसा
करने के लिए उसे स्वंय के अस्तित्व को समाप्त करना होगा.
करने के लिए उसे स्वंय के अस्तित्व को समाप्त करना होगा.