विमल विमल अनहद धुनी बाजै, समुझि परै जब ध्यान धरे, विमल विमल अनहद धूनी बाजे, समुझी परै जब ध्यान धरे।
काशी जाइ कर्म सब त्यागै, जरा मरण से निडर रहै, विरले समुझि परे वह गलिया, बहुरि न प्रानी देहँ धरै, विमल विमल अनहद धुनी बाजै, समुझि परै जब ध्यान धरे, विमल विमल अनहद धूनी बाजे, समुझी परै जब ध्यान धरे।
किंगरी संख झाँझ डफ बाजै, अरुझा मन तहँ ख्याल करै, निरंकार निरगुन अविनाशी, तिन लोक उँजियार करै, विमल विमल अनहद धुनी बाजै, समुझि परै जब ध्यान धरे, विमल विमल अनहद धूनी बाजे, समुझी परै जब ध्यान धरे।
इंगला पिंगला सुष्माना सोधो, गगन मंदिल में जोती वरै, अष्ट कमल द्वादस के भीतर, वह मिलने की जुगत करै, विमल विमल अनहद धुनी बाजै, समुझि परै जब ध्यान धरे, विमल विमल अनहद धूनी बाजे, समुझी परै जब ध्यान धरे।
जीवन मुक्ति मिले जेहि सद्गुरु, जन्म जन्म के पाप हरें, कहें कबीर सुनो भाई साधो, धीरज बिना नर भटकि मरै, विमल विमल अनहद धुनी बाजै, समुझि परै जब ध्यान धरे, विमल विमल अनहद धूनी बाजे, समुझी परै जब ध्यान धरे।