केउ सांची सुनो हमारी पंचा को रुतबों भारी
केउ सांची सुनो हमारी पंचा को रुतबों भारी
केउ सांची सुनो हमारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
दोहा –
बैठ हताया ऊपरै,
मति बोलजियो झूठ,
झूठ पाप को मूल है,
जम मारेला जूत।।
केउ सांची सुनो हमारी,
पंचा को रुतबो भारी,
पंचा को रुतबो भारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
छोटी मोटी राड़ मायने,
करे पटेलाई भारी,
सच को तो सम्मान करे नहीं,
झूठा पे बलिहारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
दुर्बल की तो करे हलाली,
सक्षम से है यारी,
खुद कीचड़ में लथपथ भरिया,
और जज बन बैठिया भारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
न्याय अन्याय रास नहीं आवे,
पैसा की लत न्यारी,
चंद कमीशन खातिर खुद की,
शाख बेच दी सारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
ठेकेदार बन करे फैसला,
पटेल लाइसेंसधारी,
घर जोड़बो याद नहीं,
बिछड़ा पटके भारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
दुबला पे दया राख जियो,
हाय लगेली भारी,
शानू केवे जन्मिया जो जन,
मरसी बारी बारी,
पंचा को रुतबो भारी।।
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Author - Saroj Jangir
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