सतगुरू देव मनाया हमने
सतगुरू देव मनाया हमने
कबीर सब घट आत्मा,
और सिरजी सिरजनहार,
अरे राम कहे सो राम संग,
और रहता भ्रम विचार।
एजी सतगुरु आत्म दृष्टि है,
और इन्द्रिय टिके न कोइ,
अरे सतगुरु बिन सूझे नहीं,
और खरा दुहैला होई।
तो पूरा सतगुरु सेवता,
और प्रगटे आय,
अरे मनसा वांछा कर्मणा,
और मोटे जन्म के पाप।।
सतगुरु देव मनाया हमने,
सतगुरु देव मनाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है,
अरे उगा भान भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है,
सतगुरु देव मनाया है।।
चित का चोक पुराया है गुरु का,
माण्डन माण्ड मण्डाया है,
अरे प्रेम मगन हाई अनुभव जाग्या,
सत का पाट बिछाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
अरे सूरत सुहागन करे आरती,
गुरुगम ढोल बजाया है,
ए गगन मंडल पर सेज पिया की,
सुरता पवन हिलाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
सूरत-नूरत मिलत पीव दरसे,
शिव में जीव समाया है,
है त्रिकुटी का रंगमहल में,
सतगुरु फाग समाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
ज्वालापुरि गुरु समरथ दाता,
केवल पद दर्शाया है,
अरे मोहनपुरी स्वरूप समाधि,
आप में आप लजाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
सतगुरु देव मनाया हमने,
सतगुरु देव मनाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है,
अरे उगा भान भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है,
सतगुरु देव मनाया है।।
और सिरजी सिरजनहार,
अरे राम कहे सो राम संग,
और रहता भ्रम विचार।
एजी सतगुरु आत्म दृष्टि है,
और इन्द्रिय टिके न कोइ,
अरे सतगुरु बिन सूझे नहीं,
और खरा दुहैला होई।
तो पूरा सतगुरु सेवता,
और प्रगटे आय,
अरे मनसा वांछा कर्मणा,
और मोटे जन्म के पाप।।
सतगुरु देव मनाया हमने,
सतगुरु देव मनाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है,
अरे उगा भान भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है,
सतगुरु देव मनाया है।।
चित का चोक पुराया है गुरु का,
माण्डन माण्ड मण्डाया है,
अरे प्रेम मगन हाई अनुभव जाग्या,
सत का पाट बिछाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
अरे सूरत सुहागन करे आरती,
गुरुगम ढोल बजाया है,
ए गगन मंडल पर सेज पिया की,
सुरता पवन हिलाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
सूरत-नूरत मिलत पीव दरसे,
शिव में जीव समाया है,
है त्रिकुटी का रंगमहल में,
सतगुरु फाग समाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
ज्वालापुरि गुरु समरथ दाता,
केवल पद दर्शाया है,
अरे मोहनपुरी स्वरूप समाधि,
आप में आप लजाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है।।
सतगुरु देव मनाया हमने,
सतगुरु देव मनाया है,
सतगुरु देव मनाया हो सैंया,
सतगुरु देव मनाया है,
अरे उगा भान भला पीव आया,
आनंद उर में छाया है,
सतगुरु देव मनाया है।।
Prahlad Singh Tipanya | Satguru Dev Manaya Ho Hamne | Kabir Bhajan
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Padmashri Prahlad Singh Tipanya, one of the most compelling folk voices of India today. His singing combines the explanation of Kabir bhajans in the folk style of the Malwa region of Madhya Pradesh. Prahlad Singh Tipanya has also been honored with Malwa Ratna, Shrestha Kala Acharya, Isuri Samman, Bhajan Bhushan, Madhya Pradesh ka Shikhar Samman, & the Sangeet Natak Academy like prestigious awards. Tipanya has kept alive Kabir’s philosophy and poetry through his mesmeric music and known for his bhajans in Malwa folk Tradition.
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Author - Saroj Jangir
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