कबीर माया पापणीं लालै लाया लोग मीनिंग Kabir Maaya Papini Hindi Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)
कबीर माया पापणीं, लालै लाया लोग।पूरी कीनहूँ न भोगई, इनका इहै बिजोग॥
Kabir Maya Papni, Laale Laaya Long,
Puri Keenahu Na Bhogai, Inka Ehe Bijog.
कबीर माया पापणीं : कबीर साहेब की वाणी है की माया पापिनी है.
लालै लाया लोंग : लोगों/जन को अपनी लालसा में लिप्त करने के लिए प्रलोभित करती है.
लालै : लालसा, मोह, स्वार्थ.
लाया : लिप्त करना, संलग्न करना.
पूरी कीनहूँ न भोगई : पुरा किसी ने भोग है.
इनका इहै बिजोग : इनका यही दुःख है, विजोख है.
इहै : यही.
बिजोग : वियोग, दुःख, संताप.
लालै लाया लोंग : लोगों/जन को अपनी लालसा में लिप्त करने के लिए प्रलोभित करती है.
लालै : लालसा, मोह, स्वार्थ.
लाया : लिप्त करना, संलग्न करना.
पूरी कीनहूँ न भोगई : पुरा किसी ने भोग है.
इनका इहै बिजोग : इनका यही दुःख है, विजोख है.
इहै : यही.
बिजोग : वियोग, दुःख, संताप.
कबीर साहेब की वाणी है की माया पापिनी है जो की जीवों को अपने पाश में फंसा लेती है. लेकिन इस तृष्णा और लालसा को कोई भी पूर्ण रूप से भोग नहीं पाया है. यह तृष्णा सुखों को प्राप्त करने की लालसा है जो कभी पूर्ण नहीं हो पाती है. अतः स्पष्ट है की माया कभी किसी की होकर नहीं रहती है. जीव इसके पीछे भागता है लेकिन यह कभी किसी की होकर नहीं रहती है. भाव है की माया कभी जीव का साथ नहीं निभाती है. माया व्यक्ति को भक्ति मार्ग से विमुख करती है लेकिन कभी भी जीव का साथ नहीं देती है. माया का पूर्ण उपभोग कोई कभी पूर्ण नहीं कर पाता है. प्रस्तुत साखी में रूपक अलंकार की व्यंजना हुई है.
श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग