कबीर मारग अगम है सब मुनिजन मीनिंग Kabir Marag Agam Hai Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Hindi Arth/Hindi Bhavarth)
कबीर मारग अगम है, सब मुनिजन बैठे थाकि।तहाँ कबीरा चलि गया गहि सतगुर की साषि॥
Kabir Marag Agam Hai, Sab Munijan Baithe Thaaki,
Taha Kabira Chali Gaya Gahi Satgur Ki Saakhi.
कबीर मारग अगम है : इश्वर तक पंहुचने का मार्ग अगम्य है, कठिन है.
अगम : दुर्गम है, कठिन है.
सब मुनिजन बैठे थाकि : मुनिजन बैठ कर थक गए हैं.
थाकि : थक गए हैं.
तहाँ कबीरा चलि गया : उस स्थान पर कबीर साहेब चले गए हैं.
गहि सतगुर की साषि : सतगुरु की वाणी को ग्रहण करके.
गहि : ग्रहण करके.
साषि : साक्षी/
अगम : दुर्गम है, कठिन है.
सब मुनिजन बैठे थाकि : मुनिजन बैठ कर थक गए हैं.
थाकि : थक गए हैं.
तहाँ कबीरा चलि गया : उस स्थान पर कबीर साहेब चले गए हैं.
गहि सतगुर की साषि : सतगुरु की वाणी को ग्रहण करके.
गहि : ग्रहण करके.
साषि : साक्षी/
परमात्मा तक पंहुचने का मार्ग अत्यंत ही दुर्गम और कठिन है. समस्त ग्यानी और मुनिजन थककर, हारकर बैठ गए हैं (उन्होंने प्रयत्न करना छोड़ दिया है ) गुरु के साक्ष्य के सहारे कबीर साहेब उस भक्ति मार्ग के शिखर पर पंहुच गए हैं. कबीर साहेब की वाणी है की भक्ति मार्ग पर चलना अत्यंत विकट है, इस पर गुरु की साखी के अभाव में लोग पंहुच नहीं पाते हैं. गुरु ही अपने उपदेशों से साधक को भक्ति पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है. बड़े बड़े ग्यानी जन शास्त्रीय विधि से इश्वर को प्राप्त करना चाहते हैं लेकिन यह संभव नहीं हो पाता है.
श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग