इही उदर के कारणै जग जाँच्यो निस जाम हिंदी मीनिंग Ehi Udar Ke Karane Meaning Kabir Dohe

इही उदर के कारणै जग जाँच्यो निस जाम हिंदी मीनिंग Ehi Udar Ke Karane Meaning Kabir Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Meaning (Kabir Sakhi/Doha Hindi Arth/Bhavarth)

इही उदर के कारणै, जग जाँच्यो निस जाम।
स्वामी पणौ जु सिर चढ़ो, सर्‌या न एको काम॥
Ehi Udar Ke Karane, Jag Jachyo Nis Jaam,
Swami Pano Ju Sir Chadho, Saraya Na Eko Kaam.

इही उदर के कारणै : इसी उदर के कारण, पेट के कारण (स्वंय की स्वार्थ पूर्ति के कारण से)
जग जाँच्यो निस जाम : रात और दिन जगत में मैंने भिक्षा मांगी, दर दर पर याचना की.
स्वामी पणौ जु सिर चढ़ो : स्वामित्व, अहम् स्वंय पर प्रभावी रहा.
सर्‌या न एको काम : एक भी काम पूर्ण नहीं हुआ.
इही : यही.
उदर : पेट/स्वार्थ.
के कारणै : के कारण से.
जग जाँच्यो : जगत में याचनाएं की.
निस जाम : रात और दिन.
स्वामी पणौ : स्वामित्व भाव, अहम्
जु : जो.
सिर चढ़ो : सर पर सवार है, प्रभाव है.
सर्‌या न एको काम :
एक भी काम पूर्ण नहीं हो पाता है.
कबीर साहेब की वाणी है की इसी उदर के कारण से जीवात्मा दर बदर याचना करता हुआ फिरता है. एक भाँती से वह दरिद्र हो गया था. ऐसे अज्ञानी जीव के मस्तक पर अज्ञान का स्वामित्व भाव, अहम् प्रभावी रहता है जिससे उसके एक भी कार्य सिद्ध नहीं हो पाते हैं. ऐसे व्यक्ति को ना तो भक्ति मिल पाती है और ना ही उसके सांसारिक कार्य ही पूर्ण हो पाते हैं. भक्ति से अपरिचित जीवात्मा मात्र उदर पूर्ति में ही लगी रहती है और अपने अमूल्य जीवन को बर्बाद कर लेती है.
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