तन कों जोगी सब करै मन कों बिरला कोइ मीनिंग Tan Ko Jogi Sab Kare Meaning : Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit/Bhavarth
तन कों जोगी सब करै, मन कों बिरला कोइ ।
सब सिधि सहजै पाइये, जे मन जोगी होइ ॥
Tan Ko Jogi Sab Kare, Man Ko Birala Koi,
Sab Siddhi Sahaje Paiye, Je Man Jogi Hoi.
कबीर के दोहे का हिंदी मीनिंग (अर्थ/भावार्थ) Kabir Doha (Couplet) Meaning in Hindi
साहेब ने महापूर्ण सन्देश दिया है की शरीर को योगी बनाना आसान है, लेकिन मन को योगी बनाना मुश्किल है। शरीर को योगी बनाने के लिए केवल भौतिक क्रियाओं को करना होता है, जैसे कि योगासन करना, प्राणायाम करना, और ध्यान करना। लेकिन मन को योगी बनाने के लिए आंतरिक साधना की आवश्यकता होती है। हमें अपने मन को शुद्ध करना होता है। हमें अपने मन में से विषयों के विकारों को निकालना होता है।
यदि मन योगी बन जाए, तो सारी सिद्धियाँ सहज ही प्राप्त हो जाती हैं। सिद्धियाँ ऐसी शक्तियाँ हैं जो हमें भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह से लाभ पहुँचाती हैं। लेकिन सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए मन का योगी होना आवश्यक है। इस दोहे का आशय यह है कि हमें अपने जीवन में आध्यात्मिक साधना पर ध्यान देना चाहिए। हमें अपने मन को शुद्ध करना चाहिए। हमें अपने मन में से विषयों के विकारों को निकालना चाहिए। तभी हम सच्ची सिद्धियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
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Author - Saroj Jangir
दैनिक रोचक विषयों पर में 20 वर्षों के अनुभव के साथ, मैं कबीर के दोहों को अर्थ सहित, कबीर भजन, आदि को सांझा करती हूँ, मेरे इस ब्लॉग पर। मेरे लेखों का उद्देश्य सामान्य जानकारियों को पाठकों तक पहुंचाना है। मैंने अपने करियर में कई विषयों पर गहन शोध और लेखन किया है, जिनमें जीवन शैली और सकारात्मक सोच के साथ वास्तु भी शामिल है....अधिक पढ़ें।
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