तारा मंडल बैसि करि चंद बड़ाई खाइ Tara Mandal Besi Kari Meaning Kabir Ke Dohe, Kabir Ke Dohe Hindi Arth Sahit (Hindi Meaning / Hindi Bhavarth)
तारा मंडल बैसि करि, चंद बड़ाई खाइ।उदै भया जब सूर का, स्यूँ ताराँ छिपि जाइ॥
चंद बड़ाई खाइ : चन्द्रमा बड़ाई को प्राप्त करता है.
उदै भया जब सूर का : जब सूरज का उदय होता है.
स्यूँ ताराँ छिपि जाइ : सूर्य के उदय होने के उपरान्त तारे छिप जाते हैं.
तारा मंडल : तारों का समूह.
बैसि करि : बैठ कर.
चंद : चंद्रमा, चाँद.
बड़ाई : बड़प्पन, ख्याति, महत्त्व.
खाइ : प्राप्त करता है.
उदै भया : उदय हुआ, उगा,
जब सूर का : जब सूरज.
स्यूँ : से,
ताराँ : तारे,
छिपि जाइ छिप जाते हैं.
तारों
के मध्य में चंद्रमा का महत्त्व होता है, जैसे तारों के मध्य में चाँद का
महत्त्व होता है. लेकिन सूर्य के उदय होने के उपरांत उसका महत्त्व कम हो
जाता है.
ऐसे ही जो स्वंय को ज्ञानी समझते हैं वे अपने शिष्यों के मध्य
में खुश होते हैं और सम्मान को प्राप्त करते हैं. लेकिन जब में ज्ञानीजन
के मध्य में जाते हैं, उनके मध्य में वास्तविक ज्ञानी पंहुचता है तो वे छिप
जाते हैं, उनका महत्त्व कम हो जाता है. अतः इस दोहे का मूल भाव है की
सच्चे तत्वज्ञानी का ही महत्त्व होता है, जो ढोंगी हैं और स्वांग रचते हैं
वे अधिक समय तक लोगों के सम्मान के पात्र नहीं होते हैं. प्रस्तुत साखी में
अल्प ज्ञानियों को चंद्रमा कहा गया है. उनके शिष्य को तारे कहा गया है और
तत्वज्ञानी जन को सूर्य के समान बताया गया है. प्रस्तुत साखी में अन्योक्ति
अलंकार की व्यंजना हुई है.
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