डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री मात भवानी को

डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री मात भवानी को

डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री,
मात भवानी को,
डंको बाजे रे।।

कोटड़ी री मात भवानी,
सब भगता ने प्यारी रे,
निमकथाने जन्म लियो थारो,
सोनी कुल में रे,
डंको बाजे रे।।

सरबती री जाई माता,
कोटड़ी में व्याई रे,
माखनलाल जी ब्याव रचायो,
लाडा कोड़ा रे,
डंको बाजे रे।।

महेश सागे चांद भाई,
पांच टाबर खेले रे,
अमिता, सरिता, समंदर देखो,
थारी बेटी रे,
डंको बाजे रे।।

मकराने को मंदिर थारो,
ऊंचो आसन सोहे रे,
मंदिर ऊपर ध्वजा फरके,
किरपा बरसे रे,
डंको बाजे रे।।

दूर देश रा आवे यातरी,
मेलो भारी लागे रे,
खीर, चूरमा, लाडू, बर्फी,
भोग लगावे रे,
डंको बाजे रे।।

भादवा में पैदल आवे,
जागण चोखो लागे रे,
भंडारा में भोजन पावे,
नाचे, गावे रे,
डंको बाजे रे।।

सावित्री संकीर्तन मंडल,
रतनगढ़ में थारो रे,
दास गोपालो लिखे, गावे,
भजन थारो रे,
डंको बाजे रे।।

डंको बाजे रे श्री कोटड़ी री,
मात भवानी को,
डंको बाजे रे।।


डंको बाजे रे सावित्री माता थारे नाम को danko Baje Savitri Mata ko #gsrmusick #जम्मागायक Gopal Soni

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Saroj Jangir Author Author - Saroj Jangir

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