मोर तोर की जेवड़ी बलि बंध्या संसार मीनिंग
मोर तोर की जेवड़ी बलि बंध्या संसार मीनिंग
मोर तोर की जेवड़ी, बलि बंध्या संसार।काँसि कडूँबा सुत कलित, दाझड़ बारंबार॥
Mor Tor Ki Jevadi, Bali Bandhya Sansaar,
Kasi Kaduba Sut kalit, Dajhad Barmbaar.
मोर तोर की जेवड़ी, बलि बंध्या संसार : माया और ममत्व की रस्सी से सम्पूर्ण संसार बंधा हुआ है.
काँसि कडूँबा सुत कलित, दाझड़ बारंबार : तू जिस कुटुंब, पुत्र, स्त्री के मोह में पड़ा है. और बार बार संताप को सहन करता है.
मोर तोर की : ममत्व और तेरी मेरी की भावना,
जेवड़ी : रस्सी.
बलि : बलपूर्वक.
बंध्या संसार : संसार बंधा है.
काँसि : कास, घास.
कडूँबा : कुटुंब कबीला.
सुत : पुत्र.
कलित : कलित्र, स्त्री.
दाझड़ : दाह देता है, जलाता है.
बारंबार : बार बार.
काँसि कडूँबा सुत कलित, दाझड़ बारंबार : तू जिस कुटुंब, पुत्र, स्त्री के मोह में पड़ा है. और बार बार संताप को सहन करता है.
मोर तोर की : ममत्व और तेरी मेरी की भावना,
जेवड़ी : रस्सी.
बलि : बलपूर्वक.
बंध्या संसार : संसार बंधा है.
काँसि : कास, घास.
कडूँबा : कुटुंब कबीला.
सुत : पुत्र.
कलित : कलित्र, स्त्री.
दाझड़ : दाह देता है, जलाता है.
बारंबार : बार बार.
यह संसार तेरी मेरी, मोह और माया के बंधन में ममत्व की रस्सी से बंधा हुआ है. वह चाहकर भी माया के बंधन से मुक्त नहीं हो पाता है, अतः वह बलपूर्वक इस पाश में बंधा हुआ है. जीव स्त्री, पुत्र, कुटुंब कबीले आदि की आशा करता है जिनसे मोह रखता है वह एक तरह की कास है जो बार बार जलती रहती है.
अतः ऐसे ही जो जीव मोह माया में पड़ा रहता है वह घास की भाँती बार बार जलता रहता है. भाव है की मोह माया में जीव लिप्त होकर दुःख का पात्र ही बनता है और कभी सुख प्राप्त नहीं कर पाता है. इस अग्नि से दग्ध होने से बचने का, जीवन में बार बार जन्म लेने और पुनः मर जाने से मुक्ति का एक ही रस्ता है, हरी नाम का सुमिरन.
अतः ऐसे ही जो जीव मोह माया में पड़ा रहता है वह घास की भाँती बार बार जलता रहता है. भाव है की मोह माया में जीव लिप्त होकर दुःख का पात्र ही बनता है और कभी सुख प्राप्त नहीं कर पाता है. इस अग्नि से दग्ध होने से बचने का, जीवन में बार बार जन्म लेने और पुनः मर जाने से मुक्ति का एक ही रस्ता है, हरी नाम का सुमिरन.
कबीर के दोहे हिंदी भावार्थ/हिंदी अर्थ/ हिंदी मीनिंग सहित। श्रेणी : कबीर के दोहे हिंदी मीनिंग
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